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पहली ही काफी है.... बढ़िया
बढ़िया है, कम से कम गरीबों की गिनती भी कम होगी.
इधर कुआँ उधर खाई!
पहली ज्यादा असरदार है.:)
बहुत बढि़या । कल 18/04/2012 को आपके इस ब्लॉग को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद! ... सपना अपने घर का ...
अबे तू जिंदा कहाँ है जो फिर मरेगा ?
जो कम दर्दनाक हो।
:))))
सुन्दर प्रस्तुति
:):) हर हाल में मरना है
बहुत सुन्दर....
शानदार
पहली ही काफी है.... बढ़िया
जवाब देंहटाएंबढ़िया है, कम से कम गरीबों की गिनती भी कम होगी.
जवाब देंहटाएंइधर कुआँ उधर खाई!
जवाब देंहटाएंपहली ज्यादा असरदार है.:)
जवाब देंहटाएंबहुत बढि़या ।
जवाब देंहटाएंकल 18/04/2012 को आपके इस ब्लॉग को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
... सपना अपने घर का ...
अबे तू जिंदा कहाँ है जो फिर मरेगा ?
जवाब देंहटाएंजो कम दर्दनाक हो।
जवाब देंहटाएं:))))
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं:):) हर हाल में मरना है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंशानदार
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