रविवार, 30 अक्टूबर 2011

कार्टून:- फ़ार्मूला-वन कार रेस और देश की बल्ले बल्ले



14 टिप्‍पणियां:

  1. फारमूला शून्य के देसी लोग, फारमूला-१ की विलायती हसरत!

    जायें, वहां हसरत की तेरही की पूड़ी बंट रही है, खा आयें।

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  2. घर में नहीं दाने अम्मा चली भुनाने ..शायद इसी को कहते हैं .

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  3. एक दिन न खायेंगे पर गर्व तो करेंगे।

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  4. वाह रे वाह! क्या कार रेस ही पार उतारेगी
    मेरे देश को.

    काजल भाई लगता है आप भी अटक गए हैं
    कहीं,वर्ना इतना न इंतजार करना पड़ता मुझे.
    अब न कहना कि १०० हो गयीं हैं,अब क्या कहूँ.

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  5. ग़रीब देश के लोगों ने ट्रैफिक जाम लगा दिया ।

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  6. :-) संगीता जी की बात से पूर्णतः सहमत हूँ।
    समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है जहाँ इस बार की पोस्ट बड़ी ज़रूर है किन्तु आपकी राय चाहिए।

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  7. ऐसे ही गाडियां दौड़ा दौड़ा कर देश भी देश कि परिधि से बाहर निकल जायेगा

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  8. इससे बेहतर तरीके से कोई कार्टूनिस्ट अपने देश और लोगों के प्रति के सरोकार को और कैसे व्यक्त कर सकता है ...बेमिसाल !

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