इस रेल का भी एक रेलाधिकार है, अगर वो सड़क पर चलना चाहे तो सड़क पर चलने देना चाहिए, कोई बंधन नहीं है, कानून हर बालिग़ रेल को रेल्गत स्वतंत्रता का अधिकार देता है.
...........और फिर घर घर सवारी उतारती ! कभी कभी सवारियां बैठाने को लेकर भिड जाते अलग अलग ट्रेनों के स्टाफ ! दरवाजों पर लटके हुए टिकट चेकर चिल्ला चिल्ला कर सवारियां बुलाते और हम अपने ही दरवाजे से लपक कर ट्रेन में चढ़ जाते !
इस रेल का भी एक रेलाधिकार है, अगर वो सड़क पर चलना चाहे तो सड़क पर चलने देना चाहिए, कोई बंधन नहीं है, कानून हर बालिग़ रेल को रेल्गत स्वतंत्रता का अधिकार देता है.
जवाब देंहटाएंअच्छा किया फाटक लगा कर!!
जवाब देंहटाएंफाटक कभी तो खुलता ही होगा --
जवाब देंहटाएंकभी कभी फाटक खुला रह जाता है।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सटीक.
जवाब देंहटाएंरामराम.
...........और फिर घर घर सवारी उतारती ! कभी कभी सवारियां बैठाने को लेकर भिड जाते अलग अलग ट्रेनों के स्टाफ ! दरवाजों पर लटके हुए टिकट चेकर चिल्ला चिल्ला कर सवारियां बुलाते और हम अपने ही दरवाजे से लपक कर ट्रेन में चढ़ जाते !
जवाब देंहटाएंताला भी लगा दो, रेल का क्या भरोसा :)
जवाब देंहटाएंbahut hi badhiya........
जवाब देंहटाएंhA-hAhA-hAA
जवाब देंहटाएंसही कहा है.
जवाब देंहटाएंफ़ाटक तो जानवरो के कारण लगाया है, कोई अन्दर ना घुस जाये, रेलगाडी तो बहुत स्याणी है जी
जवाब देंहटाएंवैलिड पॉइंट है जी !
जवाब देंहटाएंभारतीय रेल ...
जवाब देंहटाएंअजब गजब
इसके खेल ....
ये हिन्दुस्तान है यहां कुछ भी हो सकता है तो क्रुप्या करके अपना ध्यान रखें।
जवाब देंहटाएंस्टीयरिंग ह्वील लगा है!
जवाब देंहटाएंरेल बजट से नहीं
जवाब देंहटाएंपर समलैंगिक को
कानूनी मान्यता
मिलने से तो
लेना ही लेना है।