कम से कम उमर से ये उम्मीद नहीं थी , उन्हें पता भी है की कितने खिलाडी इस तरह चुने जाते है और घूम कर आ जाते है और बिना खेले ही टीम से बाहर भी हो जाते है , जहा देखो तो वही जबरजस्ती मोदी की बुरी करो तो भारत रत्न वापस करो , तारीफ करो तो मुंबई छोड़ दो , एक राज्य के खिलाडी को चुन है तो उसे हर हाल में खिलाओ भी |
उमर इस मामले में जो राजनीति कर रहे है वह तो निंदनीय है।लेकिन यदि कोई क्रिकेटप्रेमी ऐसा सवाल उठाए तो मुझे इसमें कुछ गलत भी नहीं लगता क्योंकि ये सवाल तो बनता ही है कि आप जिम्बाम्वे जैसी कमजोर टीम के खिलाफ भी सीनियरों को आराम कराके नए खिलाडियों को मौका नहीं दे रहे हैं वो भी पाँच मैचों की सीरिज में।फिर ये लोग कब खेलेंगें।हमेशा ऐसे ही दोरों पर नये खिलाडियों को मौका दिया जाता है फिर इस बार ही ऐसी क्या मजबूरी थी।
कम से कम उमर से ये उम्मीद नहीं थी , उन्हें पता भी है की कितने खिलाडी इस तरह चुने जाते है और घूम कर आ जाते है और बिना खेले ही टीम से बाहर भी हो जाते है , जहा देखो तो वही जबरजस्ती मोदी की बुरी करो तो भारत रत्न वापस करो , तारीफ करो तो मुंबई छोड़ दो , एक राज्य के खिलाडी को चुन है तो उसे हर हाल में खिलाओ भी |
जवाब देंहटाएंउमर इस मामले में जो राजनीति कर रहे है वह तो निंदनीय है।लेकिन यदि कोई क्रिकेटप्रेमी ऐसा सवाल उठाए तो मुझे इसमें कुछ गलत भी नहीं लगता क्योंकि ये सवाल तो बनता ही है कि आप जिम्बाम्वे जैसी कमजोर टीम के खिलाफ भी सीनियरों को आराम कराके नए खिलाडियों को मौका नहीं दे रहे हैं वो भी पाँच मैचों की सीरिज में।फिर ये लोग कब खेलेंगें।हमेशा ऐसे ही दोरों पर नये खिलाडियों को मौका दिया जाता है फिर इस बार ही ऐसी क्या मजबूरी थी।
जवाब देंहटाएंहद है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अब ये क्या बात हुई :(
जवाब देंहटाएंमन में छिपा सच बाहर आ रहा है।
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