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शेर डूबता दे बता, सिंह हमारा बूढ़ । उत्तर ढूँढे ना मिले, अर्थशास्त्र का गूढ़ ।अर्थशास्त्र का गूढ़, बैठ के अब झक मारें । सत्ता सर के तीर, तीर से पब्लिक तारें । तारे गया दिखाय, खाय के सिंह ऊबता । आज ख़ुदकुशी भाय, तभी तो शेर डूबता ॥
jaake pichhwade se ek...... !! :)
और कितना डूबेगा ? क्या पता ।
यह तो गीदड भी ना रहा.रामारम.
चिंताजनक!
सेंचुरी बनाकर ही रहेगा, ऐसी आशंका लगती है.
मोहे भूल गये साँवरिया..
शेर डूबता दे बता, सिंह हमारा बूढ़ ।
जवाब देंहटाएंउत्तर ढूँढे ना मिले, अर्थशास्त्र का गूढ़ ।
अर्थशास्त्र का गूढ़, बैठ के अब झक मारें ।
सत्ता सर के तीर, तीर से पब्लिक तारें ।
तारे गया दिखाय, खाय के सिंह ऊबता ।
आज ख़ुदकुशी भाय, तभी तो शेर डूबता ॥
jaake pichhwade se ek...... !! :)
हटाएंऔर कितना डूबेगा ? क्या पता ।
जवाब देंहटाएंयह तो गीदड भी ना रहा.
जवाब देंहटाएंरामारम.
चिंताजनक!
जवाब देंहटाएंसेंचुरी बनाकर ही रहेगा, ऐसी आशंका लगती है.
जवाब देंहटाएंमोहे भूल गये साँवरिया..
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