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सबके अपने अपने काम!
...अब साल भर क्या करेंगे ?
बहुत सही निशाना लगाया है,कार्टून के माध्यम से!
आईडिया बुरा नहीं अगर हर दिन का अखबार विमोचित करके मेले का लुत्फ़ लिया जा सके :)
जी हाँ लत कैसी भी हो है बुरी .पुस्तक विमोचन का अपना चस्का है नशा है .
अब अगले साल..
देवि का दिवा स्वप्न !आधी आबादी जिंदाबाद!
ab akhbaar ... :)
उपलब्धि तो है ही।
अब पुस्तक छापने के लिए एक साल इंतजार करना पड़ेगा ।
:) Bahut Badhiya
यहाँ तो पुस्तक पढ़ने की लत अख़बार पर भारी दिख रही है. बहुत ख़ूब.
सबके अपने अपने काम!
जवाब देंहटाएं...अब साल भर क्या करेंगे ?
जवाब देंहटाएंबहुत सही निशाना लगाया है,
जवाब देंहटाएंकार्टून के माध्यम से!
आईडिया बुरा नहीं अगर हर दिन का अखबार विमोचित करके मेले का लुत्फ़ लिया जा सके :)
जवाब देंहटाएंजी हाँ लत कैसी भी हो है बुरी .पुस्तक विमोचन का अपना चस्का है नशा है .
जवाब देंहटाएंअब अगले साल..
जवाब देंहटाएंदेवि का दिवा स्वप्न !आधी आबादी जिंदाबाद!
जवाब देंहटाएंab akhbaar ... :)
जवाब देंहटाएंउपलब्धि तो है ही।
जवाब देंहटाएंउपलब्धि तो है ही।
जवाब देंहटाएंअब पुस्तक छापने के लिए एक साल इंतजार करना पड़ेगा ।
जवाब देंहटाएं:) Bahut Badhiya
जवाब देंहटाएंयहाँ तो पुस्तक पढ़ने की लत अख़बार पर भारी दिख रही है. बहुत ख़ूब.
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