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ये तो गलत बात है जी, बांह छोड़ो। न छोड़ो तो कम से कम मरोड़ो मत!
हडके हुए को हड़काने की जरुरत ही क्या है.मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,काजल भाई.
ओह...बेचारे मन्नू भैया.
अर्जी अन्ना साहब की और मरज़ी सिंह साहब की:)
इन्हें कौन हडका सकता है भला. एक के सिवा..
:-):-(
तानाशाह..................
सही ही तो है :-)
दिल बहलाने के लिए --ख्याल अच्छा है । :)
एक शेर की लाइने हैं- हम जिंदा कहां हैं जो मर जायेंगे। :)
सही ही तो है :-)http://blogkikhabren.blogspot.com/
चित्र की पीछे के लैम्प पोस्ट को रालेगण सिद्धी का वह खम्बा मान रहा हूं जहां अन्ना बंधे हुओं की धुलाई का शौक पूरा करते हैं :)
चित्र की = चित्र के
बेशर्मों को हड्काने से भी क्या फर्क पड़ता है ?
सही है :-)समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://mhare-anubhav.blogspot.com/
Baat to sahi hi hai G! :-)
ये तो गलत बात है जी, बांह छोड़ो। न छोड़ो तो कम से कम मरोड़ो मत!
जवाब देंहटाएंहडके हुए को हड़काने की जरुरत ही क्या है.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आईयेगा,काजल भाई.
ओह...बेचारे मन्नू भैया.
जवाब देंहटाएंअर्जी अन्ना साहब की और मरज़ी सिंह साहब की:)
जवाब देंहटाएंइन्हें कौन हडका सकता है भला.
जवाब देंहटाएंएक के सिवा..
:-):-(
जवाब देंहटाएंतानाशाह..................
जवाब देंहटाएंसही ही तो है :-)
जवाब देंहटाएंदिल बहलाने के लिए --ख्याल अच्छा है । :)
जवाब देंहटाएंएक शेर की लाइने हैं- हम जिंदा कहां हैं जो मर जायेंगे। :)
जवाब देंहटाएंसही ही तो है :-)
जवाब देंहटाएंhttp://blogkikhabren.blogspot.com/
चित्र की पीछे के लैम्प पोस्ट को रालेगण सिद्धी का वह खम्बा मान रहा हूं जहां अन्ना बंधे हुओं की धुलाई का शौक पूरा करते हैं :)
जवाब देंहटाएंचित्र की = चित्र के
जवाब देंहटाएंचित्र की = चित्र के
जवाब देंहटाएंबेशर्मों को हड्काने से भी क्या फर्क पड़ता है ?
जवाब देंहटाएंसही है :-)समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://mhare-anubhav.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंBaat to sahi hi hai G! :-)
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