बाहर मानसून का मौसम है, लेकिन हरिभूमि पर हमारा राजनैतिक मानसून बरस रहा है। आज का दिन वैसे भी खास है, बंद का दिन है और हर नेता इसी मानसून के लिए तरस रहा है।
मानसून का मूंड है इसलिए इसकी बरसात हमने अपने ब्लॉग प्रेम रस पर भी कर दी है।
राजनैतिक गर्मी का मज़ा लेना, इसे पढ़ कर यह मत कहना कि आज सर्दी है!
गोया धरती भी अपनों से मार खाती हुई , गहरी घाटियां...पर्वत उभरते उसके सर माथे पर लेकिन अविरत निरंतर प्रवाहमयी और फिर उसने भी चंद्रमा को ऐसी ही सीख दी होगी ! यकीनन...सृष्टि और सृजन में पीड़ा तो है
बहुत मस्त! ;-) बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंबाहर मानसून का मौसम है
बाहर मानसून का मौसम है,
लेकिन हरिभूमि पर
हमारा राजनैतिक मानसून
बरस रहा है।
आज का दिन वैसे भी खास है,
बंद का दिन है और हर नेता
इसी मानसून के लिए
तरस रहा है।
मानसून का मूंड है इसलिए
इसकी बरसात हमने
अपने ब्लॉग
प्रेम रस
पर भी कर दी है।
राजनैतिक गर्मी का
मज़ा लेना,
इसे पढ़ कर
यह मत कहना
कि आज सर्दी है!
मेरा व्यंग्य: बहार राजनैतिक मानसून की
Ha,ha,ha! Sahi seekh hai!
जवाब देंहटाएंहा हा हा ! बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम ---।
जवाब देंहटाएंआपने मुआइना कर लिया? हा हा हा ।
जवाब देंहटाएं"बहुत बढ़िया..."
जवाब देंहटाएंआपके सर की क्या हालत है यह देखने की बड़ी ही तमन्ना हुई
जवाब देंहटाएंबढ़िया कटाक्ष
जवाब देंहटाएंWaah waah waah..
जवाब देंहटाएंApane par hi cartoon... Bahut sundar.
nice
जवाब देंहटाएंमस्त,बिंदास, वाह वाह.....
जवाब देंहटाएंमैं पहली बार आया हू , अब मेरा नियमित आना होगा.
गुमड़? भैये हाथ-वात भी काट दिये जाते है! सम्भल कर...
जवाब देंहटाएंPhir bhi aap nahin mane?
जवाब देंहटाएंBahut khub!
काजल भाई, हमारी ओर से तो आप निश्चिंत हो सकते हैं :)
जवाब देंहटाएंकार्टूनिस्ट ही नहीं हर खरी बात कहने वाले के साथ यही होने का ख़तरा बना रहता है.
जवाब देंहटाएंऐसा तो नहीं होना चाहिये.
जवाब देंहटाएंगोया धरती भी अपनों से मार खाती हुई , गहरी घाटियां...पर्वत उभरते उसके सर माथे पर लेकिन अविरत निरंतर प्रवाहमयी और फिर उसने भी चंद्रमा को ऐसी ही सीख दी होगी ! यकीनन...सृष्टि और सृजन में पीड़ा तो है
जवाब देंहटाएंकरारा
जवाब देंहटाएंअजी पंगा (हिन्दी ब्लागरों की कमाई का रास्ता खुल गया) लेने से पहले सोचना था.... बहुत सुंदर जी:)
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