एक छोटी सी रचना है मेरी.... आपके इस बड़े सुन्दर कार्टून के सामने छोटी सी है, पर अनुमति हो तो प्रस्तुत है..
"संसद में भी दान का कोई स्थान नहीं है, इतने वर्षों में इसने देश को कुछ दिया नहीं है, उसके गलियारों में केवल खरीददारी होती है, बाहर बैठी भूखी, नंगी, बीमार जनता रोती है॥
दानी को यहाँ नहीं मिलेगा कभी पानी, दलाली के बाजार में नहीं संसद का सानी, दानी तो वो, जो जरूरत मंदों को देता है, जो उनसे भी छीन के खाए, वो नेता है.."
सुनने से ज्यादा
जवाब देंहटाएंदेखने में आएगा
आनंद परमानंद।
बढि़या कार्टून।
जवाब देंहटाएंचीयर्स चीयर्स चीयर्स
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह
cheers!
जवाब देंहटाएंGreat!!!
जवाब देंहटाएंCheers..
~Jayant
waah guru !!
जवाब देंहटाएंवाह।
जवाब देंहटाएंबहुत सही जी. और एक पे एक फ़्री वाला तो माशाअल्लाह...क्या कहने?:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
रे वोट दे दो.. हा हा हा..
जवाब देंहटाएंएक छोटी सी रचना है मेरी....
जवाब देंहटाएंआपके इस बड़े सुन्दर कार्टून के सामने छोटी सी है,
पर अनुमति हो तो प्रस्तुत है..
"संसद में भी दान का कोई स्थान नहीं है,
इतने वर्षों में इसने देश को कुछ दिया नहीं है,
उसके गलियारों में केवल खरीददारी होती है,
बाहर बैठी भूखी, नंगी, बीमार जनता रोती है॥
दानी को यहाँ नहीं मिलेगा कभी पानी,
दलाली के बाजार में नहीं संसद का सानी,
दानी तो वो, जो जरूरत मंदों को देता है,
जो उनसे भी छीन के खाए, वो नेता है.."
बाकी मेरे ब्लॉग पर है...
सुन्दर कार्टून पर बधाई..
~जयंत