(आप इन चित्रों को 'डबल क्लिक' से बड़ा करके भी देख सकते हैं)
डलाहौज़ी, पश्चिम हिमाचल प्रदेश के चंबा ज़िले में एक ठंडा और सुंदर पहाड़ी पर्यटन स्थल है. पठानकोट से यह करीब 70 किलोमीटर है. पठानकोट तक रेल जाती है. डलाहौज़ी का रास्ता मनोरम है. डलाहौज़ी से 7 किलोमीटर पहले वनीखेत में अंतिम पेट्रोल पंप है. अगर आप अपने वाहन से जा रहे हैं तो यहां टैंक फ़ुल करवा लेने में समझदारी है.
डलाहौज़ी, पश्चिम हिमाचल प्रदेश के चंबा ज़िले में एक ठंडा और सुंदर पहाड़ी पर्यटन स्थल है. पठानकोट से यह करीब 70 किलोमीटर है. पठानकोट तक रेल जाती है. डलाहौज़ी का रास्ता मनोरम है. डलाहौज़ी से 7 किलोमीटर पहले वनीखेत में अंतिम पेट्रोल पंप है. अगर आप अपने वाहन से जा रहे हैं तो यहां टैंक फ़ुल करवा लेने में समझदारी है.
रास्ते में, गहरी खाइयों में बहता पानी मिलता है.
सड़कों के कुछ मोड़ डराते भी हैं. डलहौज़ी तक सड़क ठीक ठाक सी है पर बरसातों में भूस्खलन से इसकी हालत कुछ- कुछ बिगाड़ ही जाती है. इसलिए बारहों महीने इसकी मुरम्मत का काम चलता रहता है.
सीढ़ीनुमा खेत और सर्पीली सड़क.
आधी चाढ़ाई के बाद चीड़ के पेड़ मिलने लगते हैं.
डलहौज़ी पहुंचने के बाद नीचे की घाटी यूं दिखती है. लोग यहां अप्रेल, मई, जून, दिसंबर, जनवरी में ही आते हैं. विदेशी पर्यटक यहां नहीं के बराबर आते हैं. हिमाचल सरकार चाहे तो यहां बहुत कुछ किया जा सकता है.
घाटी का ही दूसरा दृश्य.
पूरी उंचाई पर पहुंचने के बाद देवदार ही देवदार (Pine) दिखते हैं. गर्मी के महीनों में यहां ट्रैफ़िक की भरमार रहती है.शाम को ठंडक हो जाती है.
डलहौज़ी का मॉल रोड. यह एक बहुत छोटी सी जगह है जहां बहुत भीड़ हो जाती है. आसपास कई होटल हैं. चीनी माल से पटी एक तिब्बती मार्केट भी है जिसमें बहुत सी दुकानें ग़ैरतिब्बतियों की भी हैं. यहीं, बहुत पुराना 'क़ैफ़े डलहौज़ी' हुआ करता था जो अब बंद हो गया है.
डलहौज़ी में मुख्य बाज़ार के पास ही, पहली बार, किसी दर्जी की दुकान में बीड़ी सिगरेट माचिस भी बिकतीं दिखी (नीचे इनसेट)
:-)
रात को, नीचे घाटी के जंगल में लगी आग दिखी. दुखद.
आप विदेश में नहीं हैं, बस ज़रा एक संकरे पहाडी मोड़ पर ट्रैफ़िक जाम क्लीयर करने के लिए गाड़ियांl left-side driving का पालन नहीं कर रही हैं. कुछ शहरी ड्राइवर, रास्ता कई बार यूं जाम कर देते हैं.
खज्ज्ियार, डलहौज़ी से 24 किलोमीटर और आगे है. इसे मिनी स्विट्जरलैंड जैसा कहा जाता है.यह वास्तव में ही एक बहुत सुंदर जगह है.
खज्जियार में यह स्थान वास्तव में एक झील है लेकिन पानी कम होने के कारण यह एक बहुत बड़े मैदान की तरह दिखाई देता है. इसके चारों ओर देवदारों से ढके बहुत ऊंचे पहाड़ हैं. यह स्थान अप्रतिम है. यहां तक पहुंचने वाली सड़क संकरी है और कुछ अच्छी हालत में भी नहीं है.
हिमाचल में प्रवेश करते समय 30 रूपये शुल्क लगता है. यह पर्ची 24 घंटे तक वैध रहती है, आप इस समय के भीतर, बिना और भुगतान के कई बार हिमाचल में प्रवेश कर सकते हैं. रास्ता, पंजाब और हिमाचल की सीमा से बार-बार गुजरता है. ऐसे ही एक नाके पर मैंने पेड़ पर टंगी दीवार-घड़ी पहली बार देखी.
हस्तशिल्प. इस पंखे में दिखाई दे रहे फूल, तीलियों पर अलग अलग रंगों के धागे लपेट कर बनाए गए हैं. आजकल इस प्रकार के पंखे बनाना लगभग समाप्त ही हो गया है.
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अरे वाह जी वाह ! सुन्दर दृश्य और चित्र सारा वृतांत स्वयं ही कह रहे हैं ।
जवाब देंहटाएंआपने चित्रों के माध्यम से डलहौजी और खजियार की बेहतरीन सैर करवा दी, बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत ही सुन्दर ...डलहौजी दिखा दिया आपने.
जवाब देंहटाएंहम घूम आये हैं, बहुत ही सुन्दर स्थान है।
जवाब देंहटाएंwaah bahut sundar chitr
जवाब देंहटाएंकुछ पुरानी यादे ताज़ा हो गई
वास्तव में देखने योग्य स्थान.कम बजट के पर्यटकों का लिया उत्तम जगह.बड़ा सकूं मिलता है,जा कर.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दृश्य दिखा दिये आपने।
जवाब देंहटाएंचित्र के द्वारा आपने डलहौजी का सैर करा दिया ,चित्र बहुत सुन्दर है
जवाब देंहटाएंअनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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