डाक्टर: "है मेरे पास ही पुस्तक लिखी हुई तैयार, जो आप करदे विमोचन तो मानूंगा आभार" बड़ा साहित्यकार: "लिखा है उसमे क्या ये तो बताईये सरकार, मैं आप ही को दिखाने को आऊंगा हर बार."
डाक्टर: "लिखे है उसमे विमोचन के एक सौ उदगार, जो आप चाहते है 'मोचन' तो फीस एक हज़ार." http://aatm-manthan.com
लाइलाज है।
जवाब देंहटाएंसही है।
जवाब देंहटाएंएक शब्द की नींदवाली गोली ..... दिन में 5 बार
जवाब देंहटाएंHmmmm.:)
जवाब देंहटाएंगम्भीर समस्या,धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंसाहित्यकार जो हैं
जवाब देंहटाएंइस डिप्रेशन इलाज़ बहुत जरुरी है... :)
जवाब देंहटाएंक्या बात है ...बढिया है जी :)
जवाब देंहटाएं:))kya baat hai!
जवाब देंहटाएंsahi hai !
डाक्टर: "है मेरे पास ही पुस्तक लिखी हुई तैयार,
जवाब देंहटाएंजो आप करदे विमोचन तो मानूंगा आभार"
बड़ा साहित्यकार: "लिखा है उसमे क्या ये तो बताईये सरकार,
मैं आप ही को दिखाने को आऊंगा हर बार."
डाक्टर: "लिखे है उसमे विमोचन के एक सौ उदगार,
जो आप चाहते है 'मोचन' तो फीस एक हज़ार."
http://aatm-manthan.com
:)
हटाएंइसका कोई इलाज नहीं है
जवाब देंहटाएंबहुत सही बीमारी है.:) इलाज करना पडेगा.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
इस बीमारी का इलाज़ तो मुश्किल है.
जवाब देंहटाएंहा हा हा ! इनका हाल भी कवियों जैसा है। :)
जवाब देंहटाएंडॉ की चितवन कह रही है ला -इलाज़ है रोग ,घर में ही पुस्तक विमोचन का नाटक करो .यही प्लेसिबो काट है इस बीमारी की जिसे विमोचन बीमारी कहतें हैं .
जवाब देंहटाएंये मजाक नहीं है, बिल्कुल सही बात है।
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