आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है! यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
तेल कंपनियाँ पुण्य के कामों में लगी थीं, अब थक चली हैं।
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंमस्त।
सही बात है :)
जवाब देंहटाएंहा हा हा ! झेल रही --या --कर रही !
जवाब देंहटाएंHa,ha,ha!
जवाब देंहटाएं:):) सही है .शायद नुक्सान केवल कागजों पर होता होगा
जवाब देंहटाएंबात तो एकदम सही है घाटे में क्यों चला रही है इन्हें !!
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
हा हा! हजारों करोड़ रुपये का नुकसान ठेल रही सरकार को लोग बन्द क्यों नहीं करते दादा जी! :)
जवाब देंहटाएं...तो फिर लूट का माल कैसे बांटेंगे?????
जवाब देंहटाएंझेल क्या रहीं हैं मजे से इतने दिनों से रेल रही हैं अब आँखें खुली सरकार गरीबों की झोली ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर व्यंग्य
भ्रमर ५
मस्त कार्टून है..काजल भाई..!
जवाब देंहटाएंजनहित में लगी हैं बेचारी:)
जवाब देंहटाएंयही सवाल बच्चे सरकार के लिए भी पूछते हैं , जब इनसे देश नहीं संभल रहा , महंगाई नहीं संभाल रही तो ये आराम क्यों नहीं कर लेती !
जवाब देंहटाएंबात तो लाख टके की है.
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
जवाब देंहटाएंयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
यही बात है .....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको काजल भाई !
ऊ केवल हमरी फटफटिया के लिए चल रही हैं !
जवाब देंहटाएंओह तेल कम्पनियाँ कितनी दयालू हैं।
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