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शनिवार, 17 सितंबर 2011

कार्टून:- हॉकी वालो, नोट यूं कूटे जाते हैं...


24 टिप्‍पणियां:

  1. बेचारे हॉकी वाले --क्या जाने मैच फिक्सिंग का स्वाद !

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  2. अभी बात सिरे से लगी भी नही और आपने पोल खोल दी?:)

    रामराम.

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  3. वाह! काजल भाई क्या बात है.
    फिक्सिंग में फिक्स हो रहा है
    हर कोई.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
    आपकी टिपण्णी का अंदाज अलग
    ही होता है.
    इंतजार है जी.

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  4. अफ़सोस होता है यह देख कर की सरकार अपने राष्ट्रीय खेल के खिलाडियों के साथ उचित व्यवहार नहीं करती .

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  5. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

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  6. कितना अंतर होता है राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों में :)

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  7. कोई बात नहीं, इससे परेशान न हो. धन न सही एक डीजे आ रही है जलवा-अफरोज होने पेटा के माडलों की तरह..

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  8. अब तो सरकार ने बढ़ा दिया है ईनाम, शोर न मचता तो लॉलीपाप दे ही दी थी।

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  9. हाकी कि दशा पर सचमुच रोना आता है. फिल्म में कहानी होती थी एक गरीब भाई और दूसरा आमिर एकदम वैसा ही रिश्ता क्रिकेट और हाकी का है.

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  10. तब भी हम हाकी को राष्ट्रीय खेल की पदवी देते हैं ...

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  11. hahahhhaaa...
    bahut khoob...
    asaliyat yahi hai... waise ek-aadh advertisement bhi mil jaate to kaam chal jata...

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