@ डॉ टी एस दराल जी व्यस्त नेता जी की प्रतीक्षा की हिम्मत नहीं थी मुझमें, सो कुछ मिनट का नज़ारा देख चला आया...आपने वाक़ई बहुत अच्छा किया...आपसे तो बल्कि ईर्ष्या हो रही है :)
पहली बात ..ये ब्लॉगर मीट कतई नहीं थी .. ये हिन्दी साहित्य निकेतन की पचासवीं वर्षगांठ का समारोह था जो परिकल्पना महोत्सव के ब्लॉग पुरस्कारों और नुक्कड डॉट कॉम द्वारा दिए गए ब्लॉग पुरुस्कारों से मिल कर और भी भव्य हो गया था ।
मुख्यमंत्री निशंक सीधे उत्तराखंड से चलकर सिर्फ़ इस कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे । उस वातानुकूलित हॉल में बैठना भी दुरूह लगा आपको ..कमाल है । अमां हमसे ही बैठ के बोल बतिया लिए होते ..हम तो तरसते ही रह गए ....मगर आप शायद इस कार्टून बनाने की जल्दी में निकल भागे । चलिए अगला उदघाटन आपही से करवाएंगे ..एकदम्मे टाईम पर ..तब तक तो भईया जी इश्माईल से काम चलाईये
@अजय जी, @ये ब्लॉगर मीट कतई नहीं थी .. ये हिन्दी साहित्य निकेतन की पचासवीं वर्षगांठ का समारोह था मैं भी यहीं मान रहा हूँ, पर एकत्रित समूह मात्र ब्लोग्गरों का ही दिख रहा था... तो क्या इस कार्यकर्म को सफल बनाने मात्र के लिए ही ब्लोगरों को भीड़ के रूप में इकठ्ठा किया गया.... पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा है... या फिर ये तथाकथित प्रुस्कार देने के लिए अपना कोई भी प्लेटफॉर्म नहीं उपलब्ध था.
@अजय जी, @ये ब्लॉगर मीट कतई नहीं थी .. ये हिन्दी साहित्य निकेतन की पचासवीं वर्षगांठ का समारोह था मैं भी यहीं मान रहा हूँ, पर एकत्रित समूह मात्र ब्लोग्गरों का ही दिख रहा था... तो क्या इस कार्यकर्म को सफल बनाने मात्र के लिए ही ब्लोगरों को भीड़ के रूप में इकठ्ठा किया गया.... पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा है... या फिर ये तथाकथित प्रुस्कार देने के लिए अपना कोई भी प्लेटफॉर्म नहीं उपलब्ध था.
रात को ही मालूम हुआ था, कहने वाले के शब्दों में ... ‘काजल कुमार बहुत तेज है। वहीं बैठे बैठे ही कार्टून बना दिया फटाफट और निकल गया।’ ... आज शायद वही है ...!
जो हो पहले से ही गधा मासूमियतों के लिए सधा वो कैसे बना होगा मुर्गा राज आप बतलायेंगे वैज्ञानिकों की खोलेंगे पोल कार्टून में करेंगे गोल कंप्यूटरीय चमत्कार मॉनीटर पर दिखलायेंगे।
हमें नहीं लगता है इस बात से भय सदा से हैं और रहेंगे सदा ही निर्भय मुन्ना हो या हो अन्ना भाई है भाई ही रहेगा हर भाई के कथन को थन की तरह दुहेगा कुछ तो नए विचारों का सोता मन कर्म में बहेगा।
@ हिन्दी ब्लॉगर आपकी मेहनत, ईमानदारी और साफगोई से कोई शिकायत नहीं, बल्कि हो ही नहीं साकती... बस फिर भी कुछ लोग हैं कि इन तीनों बातों का मतलब जुदा लगा लेते हैं :)
लाजवाब.....
जवाब देंहटाएंlagta hai meet ka udghatan late ho gaye....
जवाब देंहटाएंhaa
जवाब देंहटाएंab to khade ho jayiye janab
lolz........
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंउद्घाटनोत्सुक ब्लागर ध्यान दें ये रियाज भी ज़रुरी है अगर उद्घाटन का ख्याल मन में हो तो :)
ha ha ha ha
जवाब देंहटाएंकाजल जी , आप थे क्या वहां । नज़र नहीं आए । हालाँकि हम तो स्वयं मुख्य मंत्री जी के बाद पहुंचे थे ।
जवाब देंहटाएंइसे कहते हैं समझदारी ।
@ डॉ टी एस दराल जी
जवाब देंहटाएंव्यस्त नेता जी की प्रतीक्षा की हिम्मत नहीं थी मुझमें, सो कुछ मिनट का नज़ारा देख चला आया...आपने वाक़ई बहुत अच्छा किया...आपसे तो बल्कि ईर्ष्या हो रही है :)
ब्लॉगर मीट की पहली रिपोर्ट जो मैंने देखी -कार्टून के जरिये -
जवाब देंहटाएंहजार शब्दों के बराबर होता है एक जोरदार कार्टून !
जय हो !
ha ha ha :D
जवाब देंहटाएंपहली बात ..ये ब्लॉगर मीट कतई नहीं थी ..
जवाब देंहटाएंये हिन्दी साहित्य निकेतन की पचासवीं वर्षगांठ का समारोह था जो परिकल्पना महोत्सव के ब्लॉग पुरस्कारों और नुक्कड डॉट कॉम द्वारा दिए गए ब्लॉग पुरुस्कारों से मिल कर और भी भव्य हो गया था ।
मुख्यमंत्री निशंक सीधे उत्तराखंड से चलकर सिर्फ़ इस कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे । उस वातानुकूलित हॉल में बैठना भी दुरूह लगा आपको ..कमाल है । अमां हमसे ही बैठ के बोल बतिया लिए होते ..हम तो तरसते ही रह गए ....मगर आप शायद इस कार्टून बनाने की जल्दी में निकल भागे । चलिए अगला उदघाटन आपही से करवाएंगे ..एकदम्मे टाईम पर ..तब तक तो भईया जी इश्माईल से काम चलाईये
ha ha ha
जवाब देंहटाएंKajal bhai, ham to vahan aapko dhoondte hi reh gaye...
जवाब देंहटाएंKya fark padta hai ki laye aaye ya jaldi... Bloggers ne to apna kaam karna thaa...(ek-dusre se milne ka) aur chalta raha...
Bahut hi behtreen raha samaroh... Ek saath ek hi jagah bahut saare dosto se milne ka mauka mila....
Jay Jay Blogging!!!
:) :)
जवाब देंहटाएंतब तो झेलना ही पड़ेगा।
जवाब देंहटाएंक्या हुआ?
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा अब तो पेट दुखने लगा अब नही हंसा जा रहा :)
जवाब देंहटाएंदेर तो हुई ज़रूर लेकिन कार्यक्रम वाकयी ज़ोरदार रहा
जवाब देंहटाएंkarara mara....ab to sudhro
जवाब देंहटाएंमंच से आपका नाम सुनते ही हमारी आँखें तो आपको तलाशती ही रह गयी |
जवाब देंहटाएंखैर देरी से शुरू हुआ कार्यक्रम भी शानदार रहा |
जल्दी वापस लौटने का खामियाजा, कुछ और कार्टून सामग्री से वंचित रहे आप।
जवाब देंहटाएंकोई बात नहीं द्विवेदी जी । आगे का आँखों देख हाल हम सुना देते हैं । थोड़े इंतजार के बाद ।
जवाब देंहटाएंare, ye kyaa|
जवाब देंहटाएंवाह काजल जी, वाह
जवाब देंहटाएंलाजवाब का दिया आपने तो...
@अजय जी,
@ये ब्लॉगर मीट कतई नहीं थी ..
ये हिन्दी साहित्य निकेतन की पचासवीं वर्षगांठ का समारोह था
मैं भी यहीं मान रहा हूँ, पर एकत्रित समूह मात्र ब्लोग्गरों का ही दिख रहा था... तो क्या इस कार्यकर्म को सफल बनाने मात्र के लिए ही ब्लोगरों को भीड़ के रूप में इकठ्ठा किया गया....
पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा है...
या फिर ये तथाकथित प्रुस्कार देने के लिए अपना कोई भी प्लेटफॉर्म नहीं उपलब्ध था.
और इसी में डायमंड प्रकाशन परिवार का होना...
जय हो, महान हिंदी भाषा ब्लोग्गर...
वाह काजल जी, वाह
जवाब देंहटाएंलाजवाब का दिया आपने तो...
@अजय जी,
@ये ब्लॉगर मीट कतई नहीं थी ..
ये हिन्दी साहित्य निकेतन की पचासवीं वर्षगांठ का समारोह था
मैं भी यहीं मान रहा हूँ, पर एकत्रित समूह मात्र ब्लोग्गरों का ही दिख रहा था... तो क्या इस कार्यकर्म को सफल बनाने मात्र के लिए ही ब्लोगरों को भीड़ के रूप में इकठ्ठा किया गया....
पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा है...
या फिर ये तथाकथित प्रुस्कार देने के लिए अपना कोई भी प्लेटफॉर्म नहीं उपलब्ध था.
और इसी में डायमंड प्रकाशन परिवार का होना...
जय हो, महान हिंदी भाषा ब्लोग्गर...
सुना है वहां ‘मीट’ हुआ नहीं, बना! (मुर्गे का)
जवाब देंहटाएंसटीक व्यंग्य।
रात को ही मालूम हुआ था, कहने वाले के शब्दों में ... ‘काजल कुमार बहुत तेज है। वहीं बैठे बैठे ही कार्टून बना दिया फटाफट और निकल गया।’
... आज शायद वही है ...!
हम तो बेम्बुसर पर ही मुर्गे बन लिये ।
जवाब देंहटाएंटोपी पहनाने की कला...
ha ha ha ha
जवाब देंहटाएंachha hua pradhanmantri se nahin karbaya ....
जवाब देंहटाएंअच्छा हुआ, हमे कोई पुरस्कार नहीं न मिला :) मुर्गा बनने से बच गए॥
जवाब देंहटाएंअप तो आये नही मगर पहले आपका पुरुस्कार मुझे दे दिया गया था। बाद मे बदलवाया।
जवाब देंहटाएंoh :)
जवाब देंहटाएंसटीक व्यंग्य।
जवाब देंहटाएंमुख्य मंत्री तो बडी बात है किसी यम यल ए के पास भी मुर्गा बनना पडता है सर
जवाब देंहटाएंkyaa baat hai dosht nichhod ke maaraa hai kodaa in blogiyon pe !
जवाब देंहटाएंveerubhai .
सही है .....मजा आ गया
जवाब देंहटाएंहम भी बने थे भाई।
जवाब देंहटाएंहर मुर्गा बने ब्लॉगर ने पोस्ट से कुकड़ू-कूं की है!
जवाब देंहटाएंजो हो पहले से ही गधा
जवाब देंहटाएंमासूमियतों के लिए सधा
वो कैसे बना होगा मुर्गा
राज आप बतलायेंगे
वैज्ञानिकों की खोलेंगे पोल
कार्टून में करेंगे गोल
कंप्यूटरीय चमत्कार
मॉनीटर पर दिखलायेंगे।
हमें नहीं लगता है इस बात से भय
सदा से हैं और रहेंगे सदा ही निर्भय
मुन्ना हो या हो अन्ना
भाई है भाई ही रहेगा
हर भाई के कथन को
थन की तरह दुहेगा
कुछ तो नए विचारों का
सोता मन कर्म में बहेगा।
@ हिन्दी ब्लॉगर
जवाब देंहटाएंआपकी मेहनत, ईमानदारी और साफगोई से कोई शिकायत नहीं, बल्कि हो ही नहीं साकती... बस फिर भी कुछ लोग हैं कि इन तीनों बातों का मतलब जुदा लगा लेते हैं :)
पढे लिखे मुर्गे थे वहाँ तो।
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