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गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

कार्टून:- पत्रकारि‍ता में थाली के बैंगन होने का शगल


13 टिप्‍पणियां:

  1. जो जिताता है उसकी हालत ऐसे ही होती है :)

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  2. उसके कहने से क्या होता है?पत्र-पत्रिकाओं के संपादकों का का आजकल यही शगल है या कहें.. फलने -फूलने का ज़रिया है, जो विजेता होगा उसी के पाले में रहेंगे.

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  3. लगता है बेचारे का कैश स्कीम के लिए बैंक में खाता नहीं खुला ।

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  4. ये नही जितायेगा तो क्या? और भी हथकंडे मौजूद हैं.

    रामराम.

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  5. श्रीमती वन्दना गुप्ता जी आज कुछ व्यस्त है। इसलिए आज मेरी पसंद के लिंकों में आपका लिंक भी चर्चा मंच पर सम्मिलित किया जा रहा है।
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (23-02-2013) के चर्चा मंच-1164 (आम आदमी कि व्यथा) पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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