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शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

कार्टून :- लो जी बुद्धि‍जीवी बन गए


14 टिप्‍पणियां:

  1. खिंचवा ही लेती हूँ किसी लाइब्रेरी में :)

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  2. लेकिन फोटो टोपी उतार कर खिंचवाना पड़ेगा। :)

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  3. बस थोड़ा चिन्तित दिखने की आवश्यकता है..

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  4. मगर बुद्धिजीवी बनना ही क्यों -दो कौड़ी का आदमी

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  5. मगर बुद्धिजीवी बनना ही क्यों -दो कौड़ी का आदमी

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  6. व्यंगनात्मक बेहतरीन प्रस्तुती।

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  7. शुक्रिया काजल भाई आपकी टिपण्णी का असली आलेख इस सन्दर्भ में :"असली उल्लू कौन "था .आपके चित्र व्यंग्य आपकी कुशाग्र बुद्धि का प्रक्षेपण होतें हैं .आनंद ही आनंद मिलता है .आप सबके दिल की कह देते हैं .साधारणीकरण कर दते हैं जनभावना का आक्रोश का .शुक्रिया .
    ram ram bhai
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    रविवार, 3 फरवरी 2013
    असली उल्लू कौन ?

    नुसखे सेहत के
    नुसखे सेहत के

    http://veerubhai1947.blogspot.in/

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  8. माथे पर एक प्रमाण-प्लेट भी चाहिए क्या ?

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  9. किताबों के आगे बैठकर फ़ोटो खिचवाने का आईडिया तो सही है पर किताबें कैसी होनी चाहियें? इसके लिये "ताऊ सद साहित्य" का नाम सुझाना था ना.:)

    रामराम.

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