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बहुत खूब
दिल्ली की गर्मियों में तो सभी आदमी आम ही हो जाते हैं . :)
अरे वाह...यहाँ भी आम ही आम।अब शायद खरबूजे को उच्चारण पर देखकर खरबूजा भी रंग बदलेगा।
हाँ भाई साहब आम आदमी इस देश में चूसा हुआ आम ,गन्ने की चूसी हुई पोई ही है .जिनके बारे में दुष्यंत जी ने लिखा -न हो कमीज़ तो ,पांवों से पेट ढक लेंगे ,ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिए .
bahut khoob !
जय हो आ इत्ता चूसा हुआ कि ससुरे में गुठली भी नहीं दिखाई देता है जी
चुसे हुए आम की तो गुठली भी काम की होती है,अब आम आदमी के बारे में ना पूछियेगा !
क्या बात है.अजय जी, गुठली भी तो तभी नजर आये जब आम नेता उसे छोड़े.
100 % true!
और हां...जिसकी बची हुई गुठली भी बेच डालने की जुगत में सरकारें हमेशा लगी रहती हैं :)
सटीक परिभाषा।
जी आम आदमी का छिलका गुठली सब सरकारे नोच खाने पर उतारू है बेचारा अपना कच्छा बचा ले वही बड़ी बात है |
...चूसे हुए आम जैसा आदमी..बिना छिलके वाला...
गुठली जैसा..
सही हैं
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंदिल्ली की गर्मियों में तो सभी आदमी आम ही हो जाते हैं . :)
जवाब देंहटाएंअरे वाह...यहाँ भी आम ही आम।
जवाब देंहटाएंअब शायद खरबूजे को उच्चारण पर देखकर खरबूजा भी रंग बदलेगा।
हाँ भाई साहब आम आदमी इस देश में चूसा हुआ आम ,गन्ने की चूसी हुई पोई ही है .जिनके बारे में दुष्यंत जी ने लिखा -
जवाब देंहटाएंन हो कमीज़ तो ,पांवों से पेट ढक लेंगे ,
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिए .
bahut khoob !
जवाब देंहटाएंजय हो आ इत्ता चूसा हुआ कि ससुरे में गुठली भी नहीं दिखाई देता है जी
जवाब देंहटाएंचुसे हुए आम की तो गुठली भी काम की होती है,अब आम आदमी के बारे में ना पूछियेगा !
जवाब देंहटाएंक्या बात है.
जवाब देंहटाएंअजय जी, गुठली भी तो तभी नजर आये जब आम नेता उसे छोड़े.
100 % true!
जवाब देंहटाएंऔर हां...
जवाब देंहटाएंजिसकी बची हुई गुठली भी बेच डालने की जुगत में सरकारें हमेशा लगी रहती हैं :)
सटीक परिभाषा।
जवाब देंहटाएंजी आम आदमी का छिलका गुठली सब सरकारे नोच खाने पर उतारू है बेचारा अपना कच्छा बचा ले वही बड़ी बात है |
जवाब देंहटाएं...चूसे हुए आम जैसा आदमी..बिना छिलके वाला...
जवाब देंहटाएंगुठली जैसा..
जवाब देंहटाएंसही हैं
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