वाह जी! होमवर्क दिया तो मास्टरजी 'सेडिस्ट' हो गये? हा हा हा वैसे ये स्कूल्स वाले छुट्टियों में भी बच्चो और उनके पेरेंट्स को चैन से जीने क्यों नही देते? सही समय पर सही बात पकड़ी है बन्धु ! जियो हा हा
@ दर्शन लाल बवेजा जी आपने देखा होगा कि मैं आमतौर पर counter argument नहीं करता क्योंकि मैं अपने पाठकों की भावनाओं का आदर करता हूं. आपकी दोनों ही प्रतिक्रियाओं का स्वागत है :-)
टकारती बाई बड़ी अपनी सी लगती है ,भैया जी पीछे मुंहभाई काजल कुमारजी ,व्यवस्था गत मानसिक दिवालियापन ने मास्टर को सचमुच पर -पीडक ही बना दिया है । इससे अगले कार्टून में आपने पत्नी -पीड़ित समाज को बड़ी राहत पहुंचाई है । पत्नी को फ लिए खड़ें हैं ,मनमोदक फूट रहें हैं ,मन -मयूर नांच हुआ है -मन मोर हुआ मतवाला किसने जादू डाला . हास्य व्यंग्य विनोद से संसिक्त हैं यह कार्टून .
बहुत बढ़िया :) बच्चों के मन की कह दी आपने ....
जवाब देंहटाएंलगता है हाल फिलहाल आपका साबका किसी बच्चे से पड़ा है :)
जवाब देंहटाएंमस्त :)
वाह! जी वाह! चोर चोरी से जाये पर हेरा फेरी से न जाये.
जवाब देंहटाएंवाह जी! होमवर्क दिया तो मास्टरजी 'सेडिस्ट' हो गये? हा हा हा वैसे ये स्कूल्स वाले छुट्टियों में भी बच्चो और उनके पेरेंट्स को चैन से जीने क्यों नही देते? सही समय पर सही बात पकड़ी है बन्धु ! जियो हा हा
जवाब देंहटाएंएक दम धांसू फ़ांसू है ..बस्ता पटक देना चाहिए था मास्साब के छाती पे ..ताकि बच्चा के कलेजे को ठंडक पहुंचती रहती गर्मी के छुट्टी में
जवाब देंहटाएंमौजूँ है।
जवाब देंहटाएंमास्टरा नू इज्जत देवंन् दा शुक्रिया काजल जी :)
जवाब देंहटाएंअरे इत्ता भी नहीं समझे । मास्टर जी ने अपनी दुकान का पता भी तो दिया था जहाँ सारा होम वर्क किया कराया मिल जाता है । :)
जवाब देंहटाएंमेहनत के बाद साँस लेने का अधिकार हो संविधान में।
जवाब देंहटाएंक्या बात है :)))
जवाब देंहटाएंवैसे दराल सर की बात गौर करने वाली है.
सादर
लगता है आपके बच्चों को कुछ अधिक ही होम वर्क मिला है।
जवाब देंहटाएं:) सच है बच्चों को चैन की साँस नहीं लेने देता यह होमवर्क
जवाब देंहटाएंसही चित्रण है हालात का!
जवाब देंहटाएंहोमवर्क जिन्दाबाद....
जवाब देंहटाएंहोमवर्क मानो यमराज. बच्चों का भी कोई कसूर नहीं.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग दुनाली पर देखें-
मैं तुझसे हूँ, माँ
अरे बुद्धु, वो मास्टर तो अलगे बरस बदल जाएगा :)
जवाब देंहटाएंवाकई सोचने की बात है की छुट्टिया बच्चो के मौज मस्ती के लिए होते है या पढ़ने के लिए |
जवाब देंहटाएंअरे अरे छोड दे मास्साब को
जवाब देंहटाएंआज तो बच्चे आपको धन्यबाद कहेंगे.
जवाब देंहटाएं:) क्या करें होमवर्क तो देना ही पड़ता है बच्चों!
जवाब देंहटाएंहाँ ज़रा कम देना चाहिए .
......
अधिकतर मास्टरों के बच्चे नाकारा निकल जाते हैं। बेचारे क्या करें!
जवाब देंहटाएंतमाम तरह की कुंठाओँ में जी रहे मास्टरों को छुट्टी के बाद अपनी भड़ास निकालने का बहाना भी तो चाहिए!
जवाब देंहटाएंBilkul sahi kaha aapne.....thank you...thank you
जवाब देंहटाएंफिर से आना पड़ा
जवाब देंहटाएंऐसा कुछ नहीं है कोई कुंठा नहीं कोई भड़ास खुंदक नहीं होती
ये पाठ्यक्रम का ही भाग है
karara
जवाब देंहटाएं@ दर्शन लाल बवेजा जी
जवाब देंहटाएंआपने देखा होगा कि मैं आमतौर पर counter argument नहीं करता क्योंकि मैं अपने पाठकों की भावनाओं का आदर करता हूं. आपकी दोनों ही प्रतिक्रियाओं का स्वागत है :-)
आपने अनजाने में मास्टरजी की असली फोटू छाप दी है,पर ऊ बच्चा तो इस समय क्लास-वर्क कर रहा है !
जवाब देंहटाएंहा हा ...आप भी खूब है ...छोटे बच्चे की बात आपने बोल दिया
जवाब देंहटाएंसही चित्रण है हालात का| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंऔर मार साले को .....काहें तुझे शिष्य बनाया ?
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ! बच्चों की मन की बात को आपने बहुत सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! बेचारा मास्टर जी!
जवाब देंहटाएंअच्छा है हम मास्टर न हुये
जवाब देंहटाएंगर्मी की छुट्टियों से दुश्मनी । इसकी सजा मिलेगी... बराबर मिलेगी ।
जवाब देंहटाएंसही चित्रण है हालात का!
जवाब देंहटाएंसही चित्रण है हालात का!
जवाब देंहटाएंसही पटका
जवाब देंहटाएंटकारती बाई बड़ी अपनी सी लगती है ,भैया जी पीछे मुंहभाई काजल कुमारजी ,व्यवस्था गत मानसिक दिवालियापन ने मास्टर को सचमुच पर -पीडक ही बना दिया है ।
जवाब देंहटाएंइससे अगले कार्टून में आपने पत्नी -पीड़ित समाज को बड़ी राहत पहुंचाई है ।
पत्नी को फ लिए खड़ें हैं ,मनमोदक फूट रहें हैं ,मन -मयूर नांच हुआ है -मन मोर हुआ मतवाला किसने जादू डाला .
हास्य व्यंग्य विनोद से संसिक्त हैं यह कार्टून .