दिल्ली से ढाका मात्र 1.45 घंटे से 2.15 घंटे की हवाई यात्रा है. जेट एअरवेज़ की सीधी फ़्लाइट उपलब्ध है. कोलकाता से ढाका तक, सड़क से 11 घंटे का रास्ता है जो सिराजगंज के पास बांग्लादेश में जाता है. पहले जसूर (निकट खुलना) से होकर भी एक छोटा रास्ता था, किन्तु आजकल इसके प्रयोग होने की मुझे जानकारी नहीं है. बांग्लादेश में विभिन्न व्यवसायों से जुड़े लगभग 10,000 भारतीय हैं जो अधिकांशत: ऊंचे पदों पर कार्यरत हैं. बांग्लादेश की जनसंख्या 14.5 करोड़ से ऊपर है. साक्षरता 55% है.
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बाएं चित्र में, हवाई अड़डे के ठीक पास ही ईंटों के भट्टे दिखाई देते हैं. दाएं चित्र में, हवाई पट्टी के बगल में पानी देखा जा सकता है. भूमि क्षरण बांग्लादेश की बहुत बड़ी समस्या है जो नदियों के जल-कटाव व उठते समुद्र के कारण है. 2020 तक यहां 2 करोड़ लोगों के विस्थापित होने की आशंका व्यक्त की जा रही है.
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‘ढाकई जामदानी’ महीन कढ़ाई वाली यहां की मशहूर साड़ी है. प्रसिद्ध दुकान ‘तंगैल साड़ी कुटीर’ पर पं.रविशंकर का चित्र भी लगा है. ढाका में पता ही नहीं चलता कि आप भारत से बाहर हैं. यहां 1971 में भी रसोई गैस की पाइप-स्पलाई थी. पर आज गैस की बढ़ती मांग के चलते सरकार नए पाइप कनेक्शन देने में आना-कानी बरत रही है. कई इमारतों को तो पिछले एक साल से बिजली कनेक्शन नहीं दिये जा रहे हैं, कारण – विजली की घोर कमी. यहां, इन्फ़्रास्ट्रक्चर में निवेश की कड़ी ज़रूरत है पर सरकार के संसाधन बहुत सीमित हैं.
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‘पैन पैसिफ़िक सोनारगांव’ यहां का सबसे अच्छा होटल माना जाता है, दूसरे नंबर पर रैडीसन है. इस होटल में एक रिक्शे की यूं नुमाइश की गई है. यहीं एक राजा-महाराजा स्टाइल की कुर्सी भी है जिसपर बैठ कर जूते पालिश करवाए जा सकते हैं. जूते पालिश करने वाला सामने नीचे की ओर बैठता है (मुझे हैरानी भी हुई जब एक दिन मैंने, सचमुच ही दक्षिण-ऐशियाई मूल के एक महानुभाव को जूते पालिश करवाते पाया) This can happen only in.…
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इस होटल में, दुनिया भर के बड़े लोगों के चित्र हैं जो यहां ठहरे. इनमें कोई भारतीय नहीं है. दायां चित्र, होटल में कई जगह यह सूचना लगी मिलती है बातर्ज़ ‘सवारियां अपने सामान के लिए ख़ुद ज़िम्मेदार हैं…’ …अद्भुत…
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ढाका एक बहुत बड़ा शहर है. यहां अच्छी बड़ी इमारतें चारों ओर हैं. यहां मध्यम वर्ग अभी भी बहुत सशक्त नहीं है. भिखारी यहां हर जगह मिलेंगे. अभी यहां 3G तकनीक उपलब्ध नहीं है पर सरकार कोशिश कर रही है. WiFi कई जगह उपलब्ध है पर गति डायल-अप दिनों की याद दिलाती है.
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यहां केवल ट्रैफ़िक ही नहीं, पैदल चलने वालों का भी अथाह समुद्र चारों ओर है (बाएं चित्र में पेड़ों से ऊपर देखें). कुछ खाली जगह पहली बार दिखी पर वहां भी इमारतों की तैयारी देखी जा सकती है.
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द डेली स्टार यहां का प्रमुख समाचार-पत्र है. दाएं, इसी पत्र में, बांग्ला-जीवन को दर्शाते कुछ चित्र.
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भारतीय उद्योग जगत की यहां उपस्थिति देखी जा सकती है. अल्ट्राटेक सीमेंट ने भी यहां दस्तक दे दी है. भारतीय-एअरटेल के प्रिपेड से SMS करने के Rs. 25/-, काल रिसीव करने के Rs.100/-, भारत बात करने के Rs.150/- व लोकल बात करने के Rs.50/- प्रति मिनट लगते हैं. निरी लूट है ये. यहां की मुद्रा ‘टका’ (जिसे टाका उच्चारित करते हैं) को Tk लिखा जाता है, जैसे हम Rs. लिखते हैं. एक डालर में मुझे 74.50 टके मिले. यहां की 50% जनसंख्या सेवा-क्षेत्र में है, 30% उत्पादन में व केवल 20% कृषी में. भारत की तुलना में यह निश्चय ही बेहतर स्थिति है.
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‘इन्टरनेशनल आर्गेनाइज़ेशन फ़ार माइग्रेशन’ इंग्लैण्ड व स्विस हवाज़ों से हज़ारों बांग्लादेशियों को लीबिया से निकाल चुकी है पर अभी भी वहां इसके हज़ारों नागरिक फंसे हुए हैं (22 अप्रेल 2011 की रिपोर्ट) . भारत ने अपने 16 हज़ार से ज़्यादा सभी इच्छुक नागरिकों 2 महीने पहले ही वहां से निकाल लिया था.
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यहां, भारत में बनी मारूति 800 को टैक्सी के रूप में चलते देखा जा सकता है. भारतीय टी.वी. सीरियल यहां बहुत पसंद किये जाते हैं. यहां के सरकारी टी.वी. चैनल का हाल तो दूरदर्शन से भी बुरा है.
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ढाका ट्रैफ़िक-जाम का शहर है. एक दिन, 2.5 किलोमीटर रास्ता (यहां के लोग किलोमीटर को केवल किलो कहते हैं) मैंने 45 मिनट में तय किया. यहां पैदल चलना समय बचा सकता है पर, किसी को कहीं भी दिन दहाड़े लूटा जा सकता है. यहां कोई किसी की सहायता नहीं करेगा. ढाका निहायत असुरक्षित शहर है. पुलिस एक दम लठैत है, इनके सामने भारतीय पुलिसिये गइया हैं.
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प्रधानमंत्री ने 7 कमरों वाला नया घर गुलशन इलाके़ में चुना है. इसी इलाक़ें में भारतीय रेस्टोरेंट ‘ख़ज़ाना’ भी है. इसे ढाका का सबसे उम्दा भारतीय खाने का रेस्टोरेंट माना जाता है.
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सुबह-सवेरे, हवाई अड़डे की ओर जाते हुए यूं खाली सड़के देखना एक सुखद अनुभव था. गाड़ियों की नंबर प्लेट पर ‘ढाका मेट्रो’ लिखा होता है जैसे हम DL, RJ इत्यादि लिखते हैं.
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यहां के हवाई अड्डे का नाम ‘हज़रत शाहजालान अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा’ है. यह एक साधारण हवाई अड्डा है.
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-काजल कुमार
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आपकी इस पोस्ट से बांगला देश और ढाका के बारे में काफी कुछ जानने को मिला.
जवाब देंहटाएंबहुत ही रोचक पोस्ट.
सादर
बढ़िया विस्तृत वर्णन , लगा की ढाका में घूम रहे हैं ! कई नयी चौंकाने लायक जानकारियां भी मिली ! आभार आपका !
जवाब देंहटाएंबढिया यात्रा विवरण रहा काजल भाई
जवाब देंहटाएंढाका जाने वालों को पर्सनल सिक्युरिटी रखना चाहिए:)
अच्छी जानकारी समेटे सुंदर यात्रा वृतांत ....
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक विवरण दिया ढाका यात्रा का. नई जानकारियों के साथ...बधाई !
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी मिली, बधई यात्रा का विवरण के लिए साधूबाद
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी दी आपने ढाका के बारे में... हमारा तो आधा ऑफिस ही वहां रहता है... इसलिए काफी कुछ पहले ही जान चुकें हैं...
जवाब देंहटाएंहम भी घूम लिये बांग्लादेश
जवाब देंहटाएंBada maza aaya ye warnan padhte hue! Ye desh Bharat kaa hee to ek hissa tha! Iseeliye nahee lagta ki ham Bharat me nahee hain!
जवाब देंहटाएंचलिये, इस बहाने हम भी ढाका घूम लिए तस्वीरों में....
जवाब देंहटाएंबड़ी सुन्दर जानकारी एक देश के बारे में।
जवाब देंहटाएंकभी ढाके की मलमल प्रसिद्ध हुआ करती थी... जब वह भारत का एक अंग था :( बांग्ला देश की सैर कराने के लिए आभार॥
जवाब देंहटाएंविभाजन पूर्व के भारत के एक हिस्से को दिखाने के लिये धन्यवाद
जवाब देंहटाएंजोरदार सचित्र ढाका यात्रा विवरण -मगर कार्टूनिस्ट को साथ नहीं ले गए थे क्या ?
जवाब देंहटाएंbangla dssh kee rajdhani key bare men per ker aachaa laga thanayabaD
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी और विस्तृत जानकारी मिली....
जवाब देंहटाएंतसलीमा नसरीन के उपन्यासों से ढाका को काफी कुछ जाना है...पर आँखों देखे हाल की बात ही कुछ और है.
बढ़िया जानकारियों से भरी पोस्ट!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी दी आप ने, वैसे यहां बहुत से बंगालादेशी मिलते हे जिन से बंगा देश के बारे पता चलता हे
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी सबसे आश्चर्य फोन और sms रेट सुन कर हुआ. आपने 3g के बदले g3 लिखा है. १९७१ में गैस पाइप लाइन और आज की स्थिति के साथ साथ पल पल भारत की स्थिति के साथ बंगलादेश की तुलना बहुत अच्छी लगी.
जवाब देंहटाएंbehtreen jaankaari bhaaisahib baanglaa desh chitron me -tasveer zubaan rakhti hai -
जवाब देंहटाएंpados kee jaankaari denaa achchhi baat hai ,achchhaa lagaa .
badhaai aapko bhi .
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जवाब देंहटाएंकई नयी जानकारियाँ हासिल हुईं,
मैं एक बार पाबना जाना चाहता हूँ, क्या मार्गदर्शन देंगे, या कोई मार्गदर्शक सुझायेंगे ?
आभार आपका !
@ डा० अमर कुमार जी
जवाब देंहटाएंबांग्लादेश का वीज़ा कोई बहुत मुश्किल नहीं है अलबत्ता एक हफ़्ता ये ज़रूर ले लेते हैं. यह वीज़ा-सुविधा उनके दिल्ली उच्चायोग व कोलकाता के काउंस्लेट में उपलब्ध है.
चलो आपके साथ ढाका की सैर भी कर ली !
जवाब देंहटाएंअपन का पासपोर्ट बने हुए कई साल हो गए ,पर कहीं जा न सके !
बांगला देश और ढाका के बारे में जानकारी देता सुदर यात्रा वृतांत !!
जवाब देंहटाएंढाका के बारे में जानकारी देने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंशु्क्रिया अच्छा लगा ढाका की इस झांकी से रूबरू होकर !
जवाब देंहटाएंआपका लिखा बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंबहुत पसन्द नहीं आया यह देश।
या शायद पहले से पूर्वाग्रह ग्रस्तता है मेरे मन में!
बढ़िया विस्तृत जानकारी समेटे सुंदर यात्रा वृतांत. ढाका कि चित्रों के साथ सैर ऐसा लगा कि हम खुद ही सैर पर हो. बधाई.
जवाब देंहटाएंवो भारत से निकला है, तो भला वहां भ्रष्टाचार क्यों न होगा...
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
मिलिए हमारी गली के गधे से
बांगसा देश का ये सफरनामा बहुत अच्छा लगा । कबी गये नही वहां इसीसे और भी ज्यादा ।
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंI had never been to Bangladesh . Thanks for this beautiful and informative post. I bit disappointed to read that there was no pic of any Indian who stayed there.
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हमे घर बैठे बिठाये इतनी यात्रा करवा दे। तस्वीरें बहुत अच्छी हैं। धन्यवाद
जवाब देंहटाएंGood to know about new facts :]
जवाब देंहटाएंThanks
बांगसा देश का ये सफरनामा बहुत अच्छा लगा । धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंबढ़िया रही जानकारी.
जवाब देंहटाएंबैठे-बैठे हम भी तो घूम लिए...
जवाब देंहटाएं________________________
'पाखी की दुनिया' में 'पाखी बनी क्लास-मानीटर' !!
पिछले सेमेस्टर में मेरा रूममेट ढाका से था... उससे काफी कुछ जाना वहाँ के बारे में... पर आपकी पोस्ट में बहुत कुछ नया मिला... एक बार जाने का मन है वहाँ... कुछ इस बार में भी लिखते तो अच्छा रहता कि जाने में क्या खर्च-वर्च पड़ता है...
जवाब देंहटाएंथोड़ी देरी हो गई ये पोस्ट पढ़ने में .पर मजा आ गया .सरल सहज वर्णन .जैसा सोचा था वैसा ही पाया ढाका.
जवाब देंहटाएंबहुत ज्ञानवर्धक जानकारियां मिली ढाका के बारे में , प्रमाण सहित ।
जवाब देंहटाएंदिन दहाड़े लूटना तो बड़ा भयंकर होता होगा ।
लेकिन फिर वही सवाल , आप क्या करने गए थे वहां ?
बहुत ही सुन्दर तस्वीरें हैं..बंगलादेश की एक अलग छवि देखने को मिली अन्यथा बंगलादेशी जिस तादाद में यहाँ हेल्पर /सफाईकर्मचारी हैं उससे लगता है जैसे वहाँ बस गरीबी ही है [पढ़े लिखे बस गिनती के हैं] ....आभार.
जवाब देंहटाएंउसे विदेश हुए काफी साल हो गये ! मैं कुछ समय कोलकाता में था तो वहां बांग्ला चैनल को काफी लोकप्रिय पाया ,संभवतः भाषाई अनुराग के चलते ऐसा हुआ हो !
जवाब देंहटाएंभूमि क्षरण की बात पर याद आया वे राजनीति में भी इतने ही अस्थिर हैं :)
चकाचक बांगलादेश यात्रा की आज तो हमने।
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