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अरब भूभाग के 80% क्षेत्रफल वाला देश है साउदी अरब, इस देश के पश्चिम में, लाल सागर तट पर बसा है जेद्दाह. जेद्दाह से मक्का 80 कि.मी. व मदीना 300 कि.मी. की दूरी पर हैं. जबकि इसकी राजधानी रियाद, पूर्वोत्तर में है (बाएं). रियाद से दुबई की उड़ान डेढ़ घंटे की है. रस-अल-खेमा, दुबई से 1 घंटे की सड़क-दूरी पर संयुक्त अरब अमीरात का एक राज्य है. यह फारस की खाड़ी के लगभग मुहाने पर स्थित है (दाएं).. |
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होटल ट्राइडेंट से जेद्दाह यूं दिखाई देता है (बाएं). जबकि होटल शहर से ज़्यादा अच्छा दिखता है. जेद्दाह को कोई बहुत सुंदर शहर नहीं कहा जा सकता. साउदी अरब में स्त्रियां केवल बुर्के में बाहर निकल सकती हैं, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो. उन्हें कोई वाहन चलाने की आज्ञा भी नहीं हैं..शापिंग माल में मर्द अकेले केवल दोपहर को ही जा सकते हैं. कहीं भी भीड़ ग़ैरकानूनी है. पहचान-पत्र हमेंशा साथ रखना ज़रूरी है. यहां धार्मिक पुलिस गश्त लगाती रहती है. यहां न तो सिनेमा हाल हैं न सार्वजनिक पार्क…(फिर भी लोग यहां रहते हैं…) |
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क्या ये चित्र आपको भारत के ही किसी शहर के नहीं लगते ! जेद्दाह ऐसा ही दिखाई देता है. सड़के खुली है पर भीड़ ज़्यादा नहीं. |
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तरबूज़ की नक्काशी. यहां कुछ भारतीय युवकों द्वारा शुरू किये गए एक रेस्टोरेंट में यह सुदर कलाकारी देखने को मिली. दोनों शहरों में ग़ज़ब की गर्मी पड़ती है. यहां सेब का जूस पुदीना, माल्टा व अन्य फलों के साथ मिला कर दिया जाता है जिसे ‘साउदी शैम्पेन’ कहा जाता है. क्योंकि नशे ग़ैरक़ानूनी हैं. रिश्वतखोरी यहां भी चलती है. |
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जेद्दाह के समुद्री बैक-वाटर में लगा फ़व्वारा एकमात्र जगह है जहां शाम को कुछ परिवार आ जाते हैं (बाएं). 23 सितम्बर को ‘राष्ट्रीय दिवस’ था. सब जगह छुट्टी का दिन. दीवारों पर शासकों के चित्र (दाएं). . दोनों ही शहरों में यातायात अनुशासित नहीं है. कोई भी, कहीं से भी सर्राट घुस सकता है, ठीक भारतीय शहरों की ही तरह. |
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जेद्दाह में हर साल एक मुशायरा भी होता है जो सारी रात चलता है. इस मुशायरे का आयोजन भारतीय करते हैं. साउदी अरब में लगभग 20 लाख भारतीय हैं. इनमें से अधिकांश (70-80%) वे हैं जो ब्लू-कालर वर्कर कहलाते हैं. |
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मुशायरा शुरू होने से पहले ही हाल खचाखच भरने लगता है.(बाएं). यह मुशायरा ‘इंडियन स्कूल’ के सभागार में आयोजित होता है. सभागार भर जाने के बाद लोग स्कूल के अहाते में बाहर बड़े-बड़े स्क्रीन पर मुशायरे का आनंद लेते हैं यहां खाने-पीने के स्टाल भी लगे रहते हैं (दाएं).
‘इंडियन स्कूल’ में 15,000 विद्यार्थी हैं. |
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जेद्दाह में मैक्डोनाल्ड भी मिला, अरबी में लिखा यह नाम पहली बार देखा. |
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डा.अब्दुलवाहेद हालिद अलहुमैद साउदी अरब के उप श्रम-मंत्री (बाएं). प्रिंस सत्ताम बिन अब्दुल अज़ीज़ रियाद के कार्यवाहक गवर्नर हैं (दाएं). |
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रियाद के मैरियेट्ट होटल में छत के पास लगे आग बुझाने वाले स्प्रिंक्लर के निकट एक चिन्ह बना पाया कि इस पर हैंगर न टांगें (बाएं व मध्य). लोग वहां भी हैंगर टांग सकते हैं !!!. ट्रैफ़िक लाइट के खंभे के पेट में भी एक्स्ट्रा लाइट लगी मिली. अद्भुत ! (दाएं). बाद में, ऐसा ही दुबई में भी देखने को मिला. |
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रियाद में इमारतें जेद्दाह से कुछ अधिक भव्य हैं (बाएं). दाएं चित्र में, गृह मंत्रालय की सुदर इमारत, कुछ साल पहले इसके मेन गेट पर एक आतंकवादी ने बारूद से भरी कार घुसा कर उड़ा दी थी. तब से यहां कहीं पुख्ता नाकेबंदी की गई है. |
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दुबई से रस-अल-खेमा के लिए निकलते ही सड़क के दोनों ओर रेत ही रेत दिखाई देने लगता है. |
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रस-अल-खेमा एक सोया सा शहरनुमा राज्य है जो कुछ साल पहले तक एकदम वीरान लगता था. यहां पहुंचने पर पहली बार पहाड़ दिखाई देता है. लेकिन इसे तोड़ कर लगातार सीमेंट बनाया जा रहा है इसलिए कुछ साल में यह पहाड़ अदृश्य हो जाएगा. यहां सीमेंट के अतिरिक्त दवा उद्योग व समुद्री-पर्यटन दूसरे दो बड़े उद्योग हैं. यहां दुबई की ही तरह तेल नाममात्र को ही है इसलिए औद्योगिक गतिविधियां यहां मुख्यधारा में हैं. |
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रस-अल-खेमा की एक अलसाई सी धीरे-धीरे ढलती हुई शाम. यहां लगभग डेढ़ लाख भारतीय रहते हैं जो कुल जनसंख्या का 50% हैं. यहां कई भारतीय कंपनियां कार्यरत हैं. |
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शेख़ साउद बिन सक्र अल क़ासिमी क्राउन-प्रिंस व उप शासक हैं. भारतीयों के लिए इनके दिल में विशेष स्थान है. इनके मंत्री मंडल में एक महिला मंत्री भी हैं जो कई बार भारत भी आई हैं. |
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अजीब सा लगता है जब कोई आपसे बात कर रहा हो और आप खाने में मशगूल हों. पर आजकल यह भी खूब चलन में है. |
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रस-अल-खेमा के हिल्टन होटल में मुझे पहली बार यूं खड़े होने वाले चाकू मिले. वाह… |
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विदेशी एअरलाइन ने खाने का मीनू हिन्दी में पढ़ने को दिया तो बहुत अच्छा लगा. |
और अंत में……हवाई यात्रा के दौरान यदि आप सोना चाहें तो (दाएं ऊपर) दिये स्टिकर में से कोई भी एक अपनी सीट के निर्देशित स्थान पर चिपका दें (दाएं नीचे). स्टिकरों में तीन अलग-अलग निर्देश हैं – (1) मत जगाओ, (2) खाऊंगा…जगा लेना, (3) इंपोर्टेड माल का शुदाई हूं…बेचने आओ तो जगाना मत भूलना. |
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नये परिवेश का परिचय।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ..... अच्छा यात्रा विवरण ...पर कोई कार्टून नहीं ...
जवाब देंहटाएंकाम कि चीज है जरुर पढ़े .... और हाँ एक टिपण्णी अवश्य कर दे ...
http://chorikablog.blogspot.com/2010/10/94.html
यहां के मुस्लिमों को एक बार एक साल के लिये अवश्य जेद्दाह जाना चाहिये..
जवाब देंहटाएंवाह ! विदेशी भूमि का लाजवाब वर्णन, लगा कि मैं खुद आपके साथ साथ घूम रहा हूँ ! आपने वे बारीकियां बतायीं जो कि केवल वहां ही देखने को मिलती हैं बहुत से यात्री अपने विवरण में यह भूल जाते हैं ! मुझे जगाने के लिए आपका अहसान मंद हूँ काजल भाई !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा, लेकिन मुझे बहुत डर लगता हे इन देशो मे घुमने से, मेरे बहुत से मित्र दुबई मे रहते है, ओर बहुत अच्छी कम्पनी के मालिक है, लेकिन फ़िर भी उन की बातो मे कही कही डर लगता है , जेसे आप ने लिखा कि यहां बुर्का सब के लिये है, युरोप मै आप अपने मन की बात कर सकते है, अगर कोई स्थानिया युरोपिया आप के साथ गलत बोलता है तो आप उस की शिकायत कर सकते है, लेकिन इन अरब देशो मै यह सब नही, वहां वो अपने ही देशवासी की पहले सुनते है,
जवाब देंहटाएंचित्र बहुत सुंदर लगे, ओर हेरान हुं कि इतने भारतिया वहां रहते है, धन्यवाद
नाइस
हटाएंअच्छा लगा इन दोनों देशो के बारे में इतनी बारीकी से जान कर लेकिन कोई कार्टून नहीं होने के कारण कुछ खाली सा लगा !
जवाब देंहटाएंअच्छा संस्मरण ! ...वैसे आपने सीट पर कौन सा स्टिकर लगाया :)
जवाब देंहटाएंअरे वाह!
जवाब देंहटाएंकार्टून की जगह सुन्दर चित्रों वाला आलेख!
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दो अक्टूबर को जन्मे,
दो भारत भाग्य विधाता।
लालबहादुर-गांधी जी से,
था जन-गण का नाता।।
इनके चरणों में श्रद्धा से,
मेरा मस्तक झुक जाता।।
@ बंटी चोर व @ सोनी गर्ग जी,
जवाब देंहटाएंहां कार्टून तो होना चाहिये :) लेकिन ये पोस्ट ठीक वैसी ही है कि जैसी कभी -कभी नहाने का जी न करे :)
@ सतीश सक्सेना जी
हम लोग यात्री कहां होते हैं, हम तो ब्लागर होते हैं :-)
@ राज भाटिय़ा जी,
दुबई तो खाड़ी का यूरोप हैं. यहां हालात कहीं बेहतर हैं. यहां महिलाएं आमतौर से कारें चलाती मिलेंगी. बल्कि हमें दुबई एअरपोर्ट पर एक महिला PRO ही ने अटेंड किया. यहां अब महिलाएं गुलाबी छत वाली टैक्सी भी चलाने लगी हैं, हालांकि अभी वे केवल परिवार व महिला सवारियां ही लेती हैं. ...अरबियों ने आज जितना रास्ता आज तय किया, यह भी काफी है उनके लिए.
@ भाई ali जी,
जाहिर है, मैं स्टिकर यूं ही चिपका कर बर्बाद करने के बजाय साथ उठा लाया...ताकि स्कैन कर पोस्ट में लगाया जा सके :-))
@ प्रवीण जी, भाई भारतीय नागरिक व शास्त्री जी आपका भी हार्दिक विनम्र आभार.
आपने तो घर बैठे घुमा दिया, आनंद आगया इतने सुंदर चित्रों सहित इस यात्रा वृतांत को पढकर. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
गज़ब की पोस्ट!
जवाब देंहटाएंजेद्दाह को कोई बहुत सुंदर शहर नहीं कहा जा सकता. साउदी अरब में स्त्रियां केवल बुर्के में बाहर निकल सकती हैं, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो. उन्हें कोई वाहन चलाने की आज्ञा भी नहीं हैं..शापिंग माल में मर्द अकेले केवल दोपहर को ही जा सकते हैं. कहीं भी भीड़ ग़ैरकानूनी है. पहचान-पत्र हमेंशा साथ रखना ज़रूरी है. यहां धार्मिक पुलिस गश्त लगाती रहती है. यहां न तो सिनेमा हाल हैं न सार्वजनिक पार्क…(फिर भी लोग यहां रहते हैं…)
पापी पेट का सवाल है।
नयनाभिराम चित्र वीथि- लगता है उधर है कोई दिलरुबा ..बार बार उधर का ही रुख करते हैं :)
जवाब देंहटाएंदिलचस्प विवरण ।
जवाब देंहटाएंऐसे माहौल में लोग जाने कैसे रहते हैं ।
अच्छी जानकारियां मिली । आभार ।
एक कार्टूनिस्ट की निगाह से किसी शहर को देखने का मज़ा हे अलग है । कृपया इस यात्रा पर विस्तार से भी लिखें ।
जवाब देंहटाएंगजब के वृतांत के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
काजल भाई, ये स्टीकर पर दिया गया तीसरा निर्देश अद्भुत है. वाकई सच है या आपने यूं ही दिल्लगी की है?
जवाब देंहटाएं@ निशांत मिश्र - Nishant Mishra ji,
जवाब देंहटाएंवास्तव में ही कुछ एयरलाइंस में, उड़ान के दौरान ड्यूटी-फ्री चीज़ें बिक्री के लिए उपलब्ध रहती हैं जिनमें आमतौर से घड़ियाँ, परफ्यूम, पर्स और गले की चैन बगैरा होती हैं.
:)
सुन्दर
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर पोस्ट !
काजल भाई क्या चक्कर है कभी आप लीबिया घुमते (घुमाते) है कभी दुबई कभी साउदी अरबिया और अब जेद्दाह और रियाद, घुमाने के लिए शुक्रिया पर एक सवाल..
जवाब देंहटाएंआप कांर्टूनिस्ट है या फिर......??? (बताइए)
काजल भाई जब आप इतना घुमा ही रहे तो कृपया करके एक बार मिस्र (इजिप्त और काहिरा) भी घुमा दीजिये., और अगर साथ में वहां से हमारे लिए कुछ ले आयें तो आपका घणा-घणा आभार मानेंगे.
जवाब देंहटाएंअरे वाह, मजा आ गया यह खबर सुनकर। बधाई स्वीकारें इस शानदार यात्रा के लिए।
जवाब देंहटाएं................
…ब्लॉग चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
खूबसूरत चित्रों की झांकी और बेहतरीन जानकारी ..बहुत अच्छा लगा पढ़ना.
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