त्रिपोली, लीबिया की राजधानी है. यह भूमध्यसागर(Mediterranean) के किनारे अफ्रिका के उत्तरी किनारे पर स्थित है किन्तु इसकी संस्कृति अरबी है. यह यूरोप के बहुत नज़दीक है इसलिए आए दिन यहां से समुद्र के रास्ते यूरोप भागने वालों के पकड़े जाने व डूबने के समाचार आते रहते हैं. भागने वालों का पहला निशाना माल्टा होता है. |
त्रिपोली बंदरगाह के किनारे, समुद्र-तट पर बना ग्रीन-स्क्वेयर यहां का अकेला केंद्र-स्थल है. अक्सर यहां शाम को लोग आते हैं. कुछ साल पहले सरकार ने राजनैतिक कार्यकलापकों को यहीं पर सार्वजनिक फांसी देकर कई दिन लटकाए रखा था. सरकार की आंखें चारों ओर हैं. भारतीय लोकतंत्र की महत्ता समझने का अच्छा ज़रिया है यत्राएं. |
सहारा रेगिस्तान की बानगी आप त्रिपोली में भी यूं देख सकते हैं. गाड़ियों पर आपको रेत की पर्तें आमतौर से दिखेंगी. |
टैक्सी-टैक्सी…त्रिपोली की टैक्सियां. यहां न तो घरों के नंबर हैं न ही कोई डाक-प्रणाली. इसलिए शहर में किसी को लेने जाना या चिट्ठी पहुंचाना खूब चलन में हे. त्रिपोली में एक भारतीय रेस्टोरेंट है पर वह भी रमादान (रमज़ान) के चलते आजकल बंद मिला. |
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों से 2003 में मुक्ति के बाद, यहां निर्माण-कार्य बहुत तेज़ी से हो रहे हैं. लेकिन यहां के हर कार्य में दिल्ली-राष्ट्रमंडल खेलों के निर्माण का सा ही हाल है, ऊपर से नीचे तक. यहां केवल 3-4 लीबियन बैंक ही काम करते हैं. इन बैंकों में, एक सीमा से अधिक पैसा जमा कराने पर सरकार की आज्ञा चाहिये इसलिए नज़दीकी देश तुनीसिया के बैंकिंग-क्षेत्र की काफी पूछ है. |
यहां 1 दीनार (36 रूपये) में खूब सारी रोटियां (कुब्जा) मिलती हैं. शिक्षा-चिकित्सा मुफ़्त है, जैसा कि हमारे यहां म्र्यूनिसीपैल्टी के अधिकार-क्षेत्र में होता है, भगवान किसी को बीमार करे तो केवल उसे, जिसे अरबी आती हो ताकि अस्पताल में अपनी बीमारी समझा सके. 1+1 की नीति के चलते लीबियाई नागरिकों की नौकरी के नाम पर बल्ले-बल्ले है. सरकार हर नागरिक को मुफ़्त देने के लिए मकान बनाती रहती है. तेल की महिमा अपरंपार है. |
जंजूर में सड़क किनारे कुछ दुकानें... एकदम भारत-सरीखी. त्रिपोली में सड़कों के किनारे अफ़्रीकी मूल के मज़दूर काम की तलाश में पूरा-पूरा दिन खड़े मिलते हैं उनमें से कुछ, सड़कों के किनारे छोटा-मोटा सामान भी बेच लेते हैं. |
त्रिपोली से 60 कि.मी. दूर 2-3 ईस्वी की रोमन बस्ती ‘सब्राता’ है. यह यूनेस्को की विश्व-संरक्षित घोषित धरोहर है. इसे जर्मन-इटली आदि ने संभाला है जबकि पहले, सरकार इसके रख-रखाब पर उदासीन थी पर अब सौभाग्य से ऐसा नहीं है. 6 दीनार प्रवेश-शुल्क है. |
सब्राता के पुन:संरक्षित अवशेष. |
सब्राता में इस युवक की इच्छा थी कि उसकी यूं हंसते हुए फोटो खींची जाए. (लेकिन ब्लाग पर, मैं अपनी मर्ज़ी से लगा रहा हूं ) |
सब्राता शहर से समुद्र में जाने वाली अंडरग्राउंड सीवर-लाइन. ( ऐसी मति तू मेरे इंजीनियर को भी देना दाता…) |
सब्राता का एक प्राचीन सार्वजनिक प्रेक्षाग्रह. |
सब्राता में ही नहीं लगभग हर जगह प्राचीन कलाकृतियों की मुखाकृतियां दुर्भाग्यवश धार्मिक कारणों से, ऐसे ही नष्ट कर दी गई हैं. |
नंबरप्लेट में 5 माने त्रिपोली-लीबियन. बाक़ी देशों की कंपनियों/ राजदूतावासों आदि को देश के आधार पर नंबर आवंटित हैं. भारत का नंबर 48 है. |
शासक कर्नल गद्दाफ़ी की फ़ोटो हर ओर मिलती हैं. इन्हें ‘लीडर’ के नाम से संबोधित किया जाता है. नाम कोई नहीं लेता. यहां का इकलौता अंग्रेज़ी दैनिक ‘जाना’ है जो साइक्लोस्टाइल तरीक़े से छपता है. (हो सकता है कि कई युवा पाठकों को इस तकनीक की जानकारी न हो). भाषा के स्तर के बारे में कुछ न कहने से भी काम चल सकता है. दूसरा अंग्रेज़ी साप्ताहिक ‘दि त्रिपोली पोस्ट’ है, दोनों ही सरकार चलाती है. |
यहां का इकलौता पुराना बाज़ार ‘मदीना’. त्रिपोली में अब एक मॉल भी खुल गया है. |
इकलौता 5-सितारा सरकारी होटल ‘अल-कबीर’ जिसमें सुविधाओं के सुधार की असीम संभावनाएं हैं, ग्रीन-स्क्वेयर, बंदरगाह व इस होटल के बीच स्थित है. इसके कमरों के रख-रखाव का काम महिलाएं भी करती हें. यहां सभी विदेशियों के पासपोर्ट जमा करवा लेने का रिवाज़ है. पास ही रेडीसन बन गया है व मैरियट लगभग पूरा हो चुका है. अब इसे प्रतिस्पर्धा शब्द की जानकारी पहली बार होगी. |
यहां पेट्रोल 200 भारतीय रूपये में 27 लीटर है. महिलाओं को पूर्ण आदर मिलता है. महिलाएं आमतौर पर गाड़ियां चलाती दिखती हैं. किन्तु व्यभिचार की सज़ा सार्वजनिक व भयावह होती है. |
खजूर का मौसम है. 5-7 दीनार में 1 किलो उम्दा खजूर है आजकल . |
त्रिपोली का अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड़डा, जो भारत के किसी छोटे-मोटे रेलवे-स्टेशन सा लगता है. “धूम्रपान निषेध” बोर्डों के बावजूद स्थानीय लोग लॉबी में सिगरेट पी लेते हैं, और कुछ भी कहीं भी फेंक देते हैं, हमारे बस-अड्डों की तरह. हालांकि मद्यपान एकदम निषिद्ध है व इसका कड़ाई से पालन भी होता है. शायद ही, कोई बोर्ड अंग्रेज़ी में लिखा मिले. |
इस्तानबुल, तुर्की की राजधानी जहां से दिल्ली के लिए जहाज़ बदला. दूसरा रास्ता वाया-दुबई भी है. भारत-लीबिया के बीच सीधी उड़ान नहीं है, किन्तु निकट भविष्य में इसकी संभावना देखी जा रही है. दोनों सरकारें इस दिशा में काम कर रही हैं. |
इस्तानबुल हवाई अड्डे से समुद्र यूं दिखता है. त्रिपोली से जुड़ने के लिए तुर्किश एअरलाइन, अमीरात एअरलाइन से सस्ती व (अफ़वाहों के विपरीत) कहीं अधिक बढ़िया है. दुबई से त्रिपोली की उड़ान के दौरान, अमीरात एअरलाइन ने तो बुज्का बना के रख मारा था. |
एक जगह ‘मैय्या’ लेने को रूके हम. मैय्या माने पानी. मंजारिया माने खाना. सियासिया माने राजनयिक… मुश्किल, ख्लास जैसे बहुत से अरबी शब्द समझ आते थे. यहां अंग्रेज़ी समझने/बोलने वाले ढूंढना रेत में पानी की बूंद पकड़ने जैसा है. लेकिन हैरानी हुई कि दूर-दराज़ के इस इलाक़े में एक अधेड़ दुकानदार बढ़िया अंग्रेज़ी बोलते मिला. उससे भी ज़्यादा ख़ुशी मुझे इस बात की हुई जब उसने बताया कि वे इंडियन फ़िल्में देखना बहुत पसंद करते हैं. ये अरबी में सब-टाइटल्ड होती हें. पता नहीं कहां-कहां से जुगाड़ बैठाते हैं ये फ़िल्मों के लिए. यह बात अलग है कि वहां कोई हिन्दी चैनल प्रसारित नहीं होता है. 000000 |
-काजल कुमार |
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भगवान का आभार माना की भारत में जन्म दिया. :)
जवाब देंहटाएंबेहतरीन जानकारी के साथ लीबिया भ्रमण कराया ..मेरी क्लास में एक लीबिया की लड़की थी थोडा बहुत सुना था उससे आज देख भी लिया आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक तरीके से आपने लीबिया यात्रा का वर्णन किया और चित्र तो सोने पे सुहागा जैसी हैं. बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
एक पूरा का पूरा देश दिखा दिया।
जवाब देंहटाएंइतना विस्तार से आप ने इस जगह के बारे में बता दिया है कि अब वहां जाने की कोई आवश्यकता ही नहीं रह गयी...[या कहीये और अधिक जानने की आवश्यकता ही नहीं रही]
जवाब देंहटाएं-वहां पानी को मैया कहते हैं?यहाँ माय !
रामदान यहाँ आज से शुरू हुआ है..वहां एक दिन पहले शुरू हो गया लगता है..--बोलचाल की अरबी भी देश -देश में फ़रक है.ओमान और एमिरात की अरबी ..मिस्र और एमिरात की अरबी में भी काफी कुछ अन्तर है.
यह यात्रा आप की बड़ी यूनिक रही .
--भारतीय लोकतंत्र की तारीफें यहाँ ईराक़ आदि देशों के लोग भी बहुत करते हैं.
वाह बहुत बढिया लीबिया यात्रा विवरण किया है काजल भाई।
जवाब देंहटाएंयहां जाने से अच्छा तो घर में ही रहना ठीक है,क्योंकि वहाँ अंग्रेजी-देशी की मनाही जो है।:)
शुभकामनाएं
नौकरी ,मकान ,शिक्षा ,चिकित्सा सब सरकार की जिम्मेदारी और पेट्रोल के दाम ! मैं तो वाहियात मुल्क समझता था इसे :)
जवाब देंहटाएंआपका यात्रा संस्मरण पढकर और फोटोज देख कर अच्छा लगा !
आपका यात्र संस्मरण बहुत रोचक है!
जवाब देंहटाएं--
चित्र देखकर हमारा भी भ्रमण और ज्ञानार्जन हो गया!
पेट्रोल 200 भारतीय रूपये में 27 लीटर है.
जवाब देंहटाएंइसे पढ़कर हंसूं या रोऊं!?:)
Libya na jake bhi mai Bharteey loktantr kee qayal hun! Ham use chahe jitna bura bhala kah len,koyi rok tok nahi!Warna faansee pe kabke latak gaye hote!
जवाब देंहटाएंTasveeren bahut badhiya hain....baithe,baithe nazare kar liye!
बहुत सुंदर चित्र को अति सुंदर विवरण,
जवाब देंहटाएंबेहतरीन उम्दा पोस्ट-आपके ब्लाग पर एक पॉप अप विंडो अलग से खुल रहा है-देखिए कहां से लिंक लगा है।
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट ब्लॉग4वार्ता पर
चेतावनी-सावधान ब्लागर्स--अवश्य पढ़ें
बढ़िया घूम लिए जानकारी लेते हुए आपके साथ लीबिया. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सचित्र जानकारी । कई नई बातें पता चली । लेकिन आपने ये नहीं बताया कि आप लीबिया गए क्यों । रिमांडर :)
जवाब देंहटाएं@ डॉ टी एस दराल ...
जवाब देंहटाएंकिस ओर चले? यह मत पूछो
चलना है, बस इसलिए चले
हम दीवानों की क्या हस्ती,
हैं आज यहाँ, कल वहां चले
(भगवती चरण वर्मा)
रोचक यात्रा वृतांत.
जवाब देंहटाएंMaza aaya!
जवाब देंहटाएंहम तो कार्टून ढूंढते आये थे :) लीबिया निकल गया !
जवाब देंहटाएंमैं सोच रहा था कि कार्टून वाले ब्लॉग पर यात्रा वृत्तान्त कैसे आ गया?
जवाब देंहटाएंएक ही पोस्ट में इतनी बडी लीबिया यात्रा को समेट दिया। इस यात्रा के लिये अलग ब्लॉग बनाइये और धारावाहिक छापिये।
बढिया वृत्तान्त।
कमाल का वर्णन किया है काजल भाई ! आपके जरिये एक नयी संस्कृति से परिचय हुआ ..आभार आपका
जवाब देंहटाएंऔर हाँ भैया मैंने आपके ब्लाग का फालोवर बनाना चाह तो आया की आप इस ब्लाग का फालोवर नहीं बन सकते क्योंकि ब्लाग मालिक ने आपको ब्लाक किया हुआ है ! क्या त्रिपोली जाकर आप पर वहां के शासकों का असर आ गया है भैया ...रहम करो ...
बहुत शिक्षा प्रद जानकारी है , शायद मै भी निकट भविष्य मे वहा जाने वाला हू ,रोजगार के लिये । इस लिये आपके द्वारा प्रदान की गयी जंकारी मेरे बहुत काम आयेगी ।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार ..इतनी आसानी से साथ सैर करवाने के लिए....
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