मंगलवार, 18 मई 2010

कार्टून:- ये जीना भी कोई जीना है लल्लू...


23 टिप्‍पणियां:

  1. सुख दुख एक समान रे साधु

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  2. इनके साथ तो ऐसा ही होना चाहिए ,ये इसी लायक हैं ,इनकी जीत और हार दोनों नकली है और ये क्रिकेट महा नकली /

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  3. बात तो सही है...उनकी व्यथा बड़ी विकट है

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  4. यह बात क्रिकेटरों की नियति को रेखांकित करती है ।

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  5. अब हार' के बाद तो ...सुख भर दिन बीते रे..
    हार जीत में एक सा स्वागत [न]पाने वाले खिलाड़ियों की मनोव्यथा का सही चित्रण.

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  6. छोड़ दे क्रिकेट...गिल्ली डंडा खेलो...

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  7. यहाँ http://vedquran.blogspot.com/2010/05/blog-post_18.html पर आपके नाम से किसी मुल्ले नें एक टिप्पणी की है.जरा देख लीजिएगा.

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  8. ...क्रिकेट ... खेल ... नहीं ... व्यवसाय !!!

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  9. चलिये इसी बहाने हमारे क्रिकेटर्स को दर्शकों की 'जनाना' और 'मरदाना' प्रतिक्रियाओं का अंतर तो पता चला !

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  10. अजी कभी जीत कर भी आये हो???? मेरे बस चले तो सॊ जुते मारू ओर एक गिनू

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  11. नोचना पिटना छोड़ो..नोट गिनो बस..इतनी कीमत तो अदा करनी ही पड़ेगी. :)

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  12. मन रे ...तू काहे न धीर धरे ...

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  13. छोडो यार, इससे अच्छा तो खेलना ही छोड़ देते हैं ।
    वैसे भी टीम से निकलने ही वाले हैं ।

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  14. हाँ अजीब बात तो है ..मजेदार !

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  15. लल्लू फिर भी किरकिट खेलने के लिये सब कुछ करेगा! :)

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