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सोमवार, 10 मई 2010

कार्टून:- प्रकाशक की ठसक ठन ठन


19 टिप्‍पणियां:

  1. काजल भाई कहीं आपका इशारा ये तो नहीं कि मुन्ना लोग आजकल ब्लागस्पाट.कॉम पर विचरते हैं :)

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  2. प्र-कासक ढूंढना है , यही तो कसक है ...

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  3. जोर से मारा है. अच्छा है

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  4. सतिये बचन कह दिये म'राज. आप धनिये ह.

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  5. इसे ताऊ प्रकाशन का नाम क्यों नही बताया आपने?:)

    रामराम.

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  6. सही प्रकाशक की पहेली का एक आध हिंट तो दीजिये! :)

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  7. आज हिंदी ब्लागिंग का काला दिन है। ज्ञानदत्त पांडे ने आज एक एक पोस्ट लगाई है जिसमे उन्होने राजा भोज और गंगू तेली की तुलना की है यानि लोगों को लडवाओ और नाम कमाओ.

    लगता है ज्ञानदत्त पांडे स्वयम चुक गये हैं इस तरह की ओछी और आपसी वैमनस्य बढाने वाली पोस्ट लगाते हैं. इस चार की पोस्ट की क्या तुक है? क्या खुद का जनाधार खोता जानकर यह प्रसिद्ध होने की कोशीश नही है?

    सभी जानते हैं कि ज्ञानदत्त पांडे के खुद के पास लिखने को कभी कुछ नही रहा. कभी गंगा जी की फ़ोटो तो कभी कुत्ते के पिल्लों की फ़ोटूये लगा कर ब्लागरी करते रहे. अब जब वो भी खत्म होगये तो इन हरकतों पर उतर आये.

    आप स्वयं फ़ैसला करें. आपसे निवेदन है कि ब्लाग जगत मे ऐसी कुत्सित कोशीशो का पुरजोर विरोध करें.

    जानदत्त पांडे की यह ओछी हरकत है. मैं इसका विरोध करता हूं आप भी करें.

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  8. तनिक बताईये तो सही कहाँ मिलेंगें ये अच्छे वाले प्रकासक :)

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  9. सेट्टिंग कहाँ कहाँ नहीं ..
    भाई,बंधु/रिश्तेदार सब मात्र संबोधनो से सेट हो रहे हैं...
    किताबों की छोडिये ...आजकल 'ब्लोगों के' अख़बारों में छपने /छपवाने की सेट्टिंग चल रही हैं [ऐसा सुनने में आया है]

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  10. चैट के bots ब्लागिंग में भी आ गए Anonymous के नाम से..

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