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हा-हा , ऊपर से पांच-सात सौ रूपये सिलेंडर पर भी खर्च कर डाले, इसे कहते है कंगाली में आटा गीला !
हा हा हा ैअच्छा लगा धन्यवाद्
कोई बात नहीं अब पेट की आग इसी से बुझाओ... :)
ha ha ha ha ha
संजय जी ने लाख टके की बात कह दी. लेकिन सत्ता के दलालों को क्या फर्क पड़ना है. ये परजीवी हैं जो दूसरों का खून चूस कर ही जीवित रहते हैं.
ha ha ha ha..Deemag se paidal hai..
अग्निशामक का दाम कैसा है? उसमें आग नहीं लगी क्या? :)
थोडा खर्चा पति को भी करने देती , तो ये न होता।
बुग्गा गोभी लेकर आ गया!
ये तो पक्का ताऊ है.:)रामराम.
बढ़िया
हा-हा , ऊपर से पांच-सात सौ रूपये सिलेंडर पर भी खर्च कर डाले, इसे कहते है कंगाली में आटा गीला !
जवाब देंहटाएंहा हा हा ैअच्छा लगा धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंकोई बात नहीं अब पेट की आग इसी से बुझाओ... :)
जवाब देंहटाएंha ha ha ha ha
जवाब देंहटाएंसंजय जी ने लाख टके की बात कह दी. लेकिन सत्ता के दलालों को क्या फर्क पड़ना है. ये परजीवी हैं जो दूसरों का खून चूस कर ही जीवित रहते हैं.
जवाब देंहटाएंha ha ha ha..
जवाब देंहटाएंDeemag se paidal hai..
अग्निशामक का दाम कैसा है? उसमें आग नहीं लगी क्या? :)
जवाब देंहटाएंथोडा खर्चा पति को भी करने देती , तो ये न होता।
जवाब देंहटाएंबुग्गा गोभी लेकर आ गया!
जवाब देंहटाएंये तो पक्का ताऊ है.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
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