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ऑडीटरनी की व्यथा सच्ची है। उनसे से सहानुभूति।
:)...व्यथा -कथा !
च च च ..सही तो कह रही है बेचारी.
हा हा हा इत्ता घनघोर साइड इफ़्फ़ेक्ट :)
घर में भी चलती है ऑडिटर की !
बहुत गुस्से में हैं, लगता है यहाँ नहीं चलने वाली उनकी... :)
सच कह रही हैं :(
बाबू की मजबूरी की तस्वीर. बढ़िया है :))
सच में, बहुत कठिन हो गया है जीवन..
सिर्फ खाना ? तो फिर पैसे और दारू का क्या होगा :)
यही खाओ मुए अब और अपनी उस होटल वाली के साथ जा
हराम की आदत पड़ जाए तो जीना भी हराम हो सकता है. सुन्दर.
hahahaha
:-)
हाहाहापहले वही खाना बड़ा स्वादिष्ट रहा होगा।
असली और ताकतवर ऑडिटर तो घरवाली ही होती है:)
अरे ये क्या बात हुई जी :)
:-))
ऑडीटरनी की व्यथा सच्ची है। उनसे से सहानुभूति।
जवाब देंहटाएं:)...व्यथा -कथा !
जवाब देंहटाएंच च च ..सही तो कह रही है बेचारी.
जवाब देंहटाएंहा हा हा इत्ता घनघोर साइड इफ़्फ़ेक्ट :)
जवाब देंहटाएंघर में भी चलती है ऑडिटर की !
जवाब देंहटाएंबहुत गुस्से में हैं, लगता है यहाँ नहीं चलने वाली उनकी... :)
जवाब देंहटाएंसच कह रही हैं :(
जवाब देंहटाएंबाबू की मजबूरी की तस्वीर. बढ़िया है :))
जवाब देंहटाएंसच में, बहुत कठिन हो गया है जीवन..
जवाब देंहटाएंसिर्फ खाना ? तो फिर पैसे और दारू का क्या होगा :)
जवाब देंहटाएंयही खाओ मुए अब और अपनी उस होटल वाली के साथ जा
जवाब देंहटाएंहराम की आदत पड़ जाए तो जीना भी हराम हो सकता है. सुन्दर.
जवाब देंहटाएंhahahaha
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंहाहाहा
जवाब देंहटाएंपहले वही खाना बड़ा स्वादिष्ट रहा होगा।
असली और ताकतवर ऑडिटर तो घरवाली ही होती है:)
जवाब देंहटाएंअरे ये क्या बात हुई जी :)
जवाब देंहटाएं:-))
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