बहुत बढ़िया कार्टून! -- इसकी चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है! यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
'पिछड़े' शब्द ने व्यंग्य की धार को कम किया है। पिछड़े गरीब होते हैं..वे नहीं मनाते। इसके स्थान पर ..रे मूर्ख! लड़की होने पर भी कोई जश्न मनाता है!!...होता तो मेरी समझ से करारा कटाक्ष होता।
पिछड़े या अति आधुनिक :)
जवाब देंहटाएंकुछ दिखावे के लिए भी जश्न मनाते है
जवाब देंहटाएंजीवन में कोई न कोई बहाना देखकर खुश हो लेना चाहिये।
जवाब देंहटाएंबंदा जश्न मनाता हुआ तो नहीं लग रहा । :)
जवाब देंहटाएंhmm....
जवाब देंहटाएंपिछडेपन की यही तो निशानी है और इसे मिटाने की कोशिश में न जाने कितने मां-बाप लगे रहते हैं :(
जवाब देंहटाएंशायद आधुनिकता की भी निशानी है।
जवाब देंहटाएंपिछड़े, ग़रीब और अज्ञानी? जिन्हें आधुनिक खतरों, रीति-रिवाज़ की जानकारी और तकनीक और उसके दुरुपयोगकर्ताओं तक पहुँच नहीं है।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कार्टून!
जवाब देंहटाएं--
इसकी चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
आज तो आपने निशब्द कर दिया.
जवाब देंहटाएं'पिछड़े' शब्द ने व्यंग्य की धार को कम किया है। पिछड़े गरीब होते हैं..वे नहीं मनाते। इसके स्थान पर
जवाब देंहटाएं..रे मूर्ख! लड़की होने पर भी कोई जश्न मनाता है!!...होता तो मेरी समझ से करारा कटाक्ष होता।
सुन्दर कटाक्ष....
जवाब देंहटाएंसादर...
उम्दा .बधाई.
जवाब देंहटाएंmujhe samjh nahi aaya , sorry
जवाब देंहटाएंरो लेने में ही अगाड़ीपन है इस ग़रीब के लिए...बढ़िया कार्टून.
जवाब देंहटाएं@ Geeta
जवाब देंहटाएंतथकथित पिछड़े समाजों में आज भी बेटी के जन्म पर बुरा नहीं मनाया जाता.