.......... कल ही सुपर मार्केट में सब्जियों में 'इंडियन अनीयन' के बोर्ड के नीचे ढेरों प्याज देखीं और कीमत सिर्फ ३.९५ दिरहम! विश्वास ही नहीं हो पाया कि वास्तव में इंडिया में प्याज की इतनी मारामारी हो रही है? अगर वह सच है तो आयात हुए इस प्याज का मूल्य ठहरा क्यूँ है?चढा क्यूँ नहीं? .............
काजल भाई, एयर ट्रेफिक को डिस्टर्ब करके कमाई की सोचें तो चल भी जाएगा ! इससे उन लोगों को क्या फर्क पडेगा जो प्याज किसी भी कीमत पर खरीद सकते हैं / अफोर्ड कर सकते हैं :)
पर...रेल या बस ट्रेफिक को डिस्टर्ब करके कमाई करने की सोचेंगे तो 'जनता जनार्दन' की बैंड दोनों ओर से बजी मानिए :(
प्याज की प्यास,
जवाब देंहटाएंपैसे की आस।
हा हा हा हा हा हा
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कार्टून!
वाह!
जवाब देंहटाएंha ha ha .. very nice..
जवाब देंहटाएंPlease visit my blog.
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"ई-प्याज" टाइप कोई बंदोबस्त किया जाए!
जवाब देंहटाएंबढ़िया व्यंग्य...
जवाब देंहटाएं'मौलिक आईडिया' :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया।
हा-हा-हा... सही कहा ! मैं भी सोच रहा था कि किसी कवी सम्मलेन में जाऊ और लोगो से आग्रह करू कि कविता पसंद न आए तो अंडे की जगह प्याज और टमाटर फेंकना !
जवाब देंहटाएंहाय पैसा हाय पैसा....हमरे यहां प्याज १२० रुपये मे पांच किलो मिल रहे हे परचून मे थोक मे तो ओर भी सस्ते होंगे, कहो तो भेज दुं द्स बारह जहाज
जवाब देंहटाएंसभी को कमाना है भाई |
जवाब देंहटाएंहा हा...बहुत ही मजेदार
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही।
जवाब देंहटाएं---------
डा0 अरविंद मिश्र: एक व्यक्ति, एक आंदोलन।
एक फोन और सारी समस्याओं से मुक्ति।
वाह , प्याज का स्वाद आ गया ।
जवाब देंहटाएंअसली ब्यापारी तो यही है...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी खबर लगाई है आपने!
जवाब देंहटाएंमजा आ गया. प्याज के नाम पर कितना रोयें.
जवाब देंहटाएं..........
जवाब देंहटाएंकल ही सुपर मार्केट में सब्जियों में 'इंडियन अनीयन' के बोर्ड के नीचे ढेरों प्याज देखीं और कीमत सिर्फ ३.९५ दिरहम!
विश्वास ही नहीं हो पाया कि वास्तव में इंडिया में प्याज की इतनी मारामारी हो रही है?
अगर वह सच है तो आयात हुए इस प्याज का मूल्य ठहरा क्यूँ है?चढा क्यूँ नहीं?
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काजल भाई,
जवाब देंहटाएंएयर ट्रेफिक को डिस्टर्ब करके कमाई की सोचें तो चल भी जाएगा ! इससे उन लोगों को क्या फर्क पडेगा जो प्याज किसी भी कीमत पर खरीद सकते हैं / अफोर्ड कर सकते हैं :)
पर...रेल या बस ट्रेफिक को डिस्टर्ब करके कमाई करने की सोचेंगे तो 'जनता जनार्दन' की बैंड दोनों ओर से बजी मानिए :(
ही ही ही ..हमारे यहाँ आ गए सारे जहाज ..
जवाब देंहटाएंपूंजी ज्यादा मुनाफे की तरफ (दौड़ती) उड़ती है।
जवाब देंहटाएंआज की आपकी ये रचना वर्तमान संदर्भों में पूरी तरह से प्रासंगिक. वाह...
जवाब देंहटाएंहा हा हा... बहुत जोरदार :)
जवाब देंहटाएंवाकई अब प्याज के धंधे में कमाई के अधिक आसार है...बढ़िया कटाक्ष..धन्यवाद काजल जी
जवाब देंहटाएंसही कहा :)
जवाब देंहटाएंसही है वीरु
जवाब देंहटाएंहा...हा...हा...
जवाब देंहटाएंबहुत ही मजेदार
बढिया। तभी तो प्याज मंहगे हुये।
जवाब देंहटाएंअभी हाई जैक करवाए लेते हैं
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह सटीक, सुन्दर कार्टून !
जवाब देंहटाएंप्याज़ ने नासिक को एल डोराडो बना दिया! :)
जवाब देंहटाएंप्याज़ काहे बनाया राम ने.....
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आ पाया हूँ.प्याज और पेट्रोल तो आम आदमी को रुला कर ही मानेंगे. उम्दा कार्टून.
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