शनिवार, 15 जनवरी 2011

कार्टून:- रोइए ज़ार-ज़ार क्या, कीजिये हाय-हाय क्यों..


32 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा हा हा हा हा
    बेहतरीन कार्टून!

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  2. "ई-प्याज" टाइप कोई बंदोबस्त किया जाए!

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  3. हा-हा-हा... सही कहा ! मैं भी सोच रहा था कि किसी कवी सम्मलेन में जाऊ और लोगो से आग्रह करू कि कविता पसंद न आए तो अंडे की जगह प्याज और टमाटर फेंकना !

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  4. हाय पैसा हाय पैसा....हमरे यहां प्याज १२० रुपये मे पांच किलो मिल रहे हे परचून मे थोक मे तो ओर भी सस्ते होंगे, कहो तो भेज दुं द्स बारह जहाज

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  5. बहुत अच्छी खबर लगाई है आपने!

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  6. मजा आ गया. प्याज के नाम पर कितना रोयें.

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  7. ..........
    कल ही सुपर मार्केट में सब्जियों में 'इंडियन अनीयन' के बोर्ड के नीचे ढेरों प्याज देखीं और कीमत सिर्फ ३.९५ दिरहम!
    विश्वास ही नहीं हो पाया कि वास्तव में इंडिया में प्याज की इतनी मारामारी हो रही है?
    अगर वह सच है तो आयात हुए इस प्याज का मूल्य ठहरा क्यूँ है?चढा क्यूँ नहीं?
    .............

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  8. काजल भाई,
    एयर ट्रेफिक को डिस्टर्ब करके कमाई की सोचें तो चल भी जाएगा ! इससे उन लोगों को क्या फर्क पडेगा जो प्याज किसी भी कीमत पर खरीद सकते हैं / अफोर्ड कर सकते हैं :)

    पर...रेल या बस ट्रेफिक को डिस्टर्ब करके कमाई करने की सोचेंगे तो 'जनता जनार्दन' की बैंड दोनों ओर से बजी मानिए :(

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  9. ही ही ही ..हमारे यहाँ आ गए सारे जहाज ..

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  10. पूंजी ज्यादा मुनाफे की तरफ (दौड़ती) उड़ती है।

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  11. आज की आपकी ये रचना वर्तमान संदर्भों में पूरी तरह से प्रासंगिक. वाह...

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  12. हा हा हा... बहुत जोरदार :)

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  13. वाकई अब प्याज के धंधे में कमाई के अधिक आसार है...बढ़िया कटाक्ष..धन्यवाद काजल जी

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  14. बढिया। तभी तो प्याज मंहगे हुये।

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  15. प्याज़ ने नासिक को एल डोराडो बना दिया! :)

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  16. बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आ पाया हूँ.प्याज और पेट्रोल तो आम आदमी को रुला कर ही मानेंगे. उम्दा कार्टून.

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