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गुरुवार, 23 दिसंबर 2010

कार्टून:-न पूछो आंसू से नम थी आंखें वो वक्त बेवफा था …


16 टिप्‍पणियां:

  1. 80 रूपये किलो !
    अब समझ आया कि क्यों शिवजी की पूजा से लुड़का था ये लहसुन के साथ. उफ़्फ, ये अकड़ इसकी !
    :)

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  2. यह मत्री जी क्या जनता के हाथ लग गये जो चड्डी बनिया फ़डवा कर सर मे इस प्याज को रखे आ रहे हे?

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  3. प्रिय बंधुवर काजल कुमार जी
    बहुत ख़ूब !
    ग़ज़ब है प्याज और प्याज के छिलके …

    # देखा है तेरी आंखों में प्याज ही प्याज बेशुमार …

    # हमें तुमसे प्याज कितना , ये हम नहीं जानते , मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना

    # प्याऽऽज… प्याज प्याज प्याज चाहिए, चाहिए थोड़ा प्याज चाहिए ऽऽऽ

    :)

    ~*~नव वर्ष 2011 के लिए हार्दिक
    मंगलकामनाएं !~*~

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  4. कहीं 'भाजपा' वाले बदला लेने की फिराक में तो नहीं हैं?...
    :-)

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  5. कभी ए हकीकत मुन्तजिर नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में !
    तेरा दिल तो है सनम आशना तुझे क्या मिलेगा प्याज में :)

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  6. कभी थे
    मंत्री के संत्री
    हैं आज प्याज के ।

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  7. वो दिन दीर नहीं कि प्याज पर कोइ फिल्म या धारावाहिक भी आ जाए...
    प्याज हमें किस मोड पे ले आया... :)

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  8. प्‍याज, छिलके-छिलके आठ-आठ आंसू.

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  9. अब तो टमाटर ने भी दावेदारी पेश कर दी है। हे भगवान,कुछ फेंकने के लिए भी न बचा इन मंत्रियों पर!

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