"बस एक बार जो बन गए सांसद, जीवन भर का मिल जाएगा मद, देश की कौन सोचता है कम्बखत, बस तू दोनों हाथों से लूट, हर वकत, बच्चों को बैठा देना अपनी सीट पर, जब बढ़ने लगे तेरे पाँव अपनी कब्र पर, सात पीढियां भी तेरी तर जायेंगी, भाभी भी तुझपे मर मर जायेंगी.."
काजल जी,
क्षमा करें.. पर मेरी एक कविता की कुछ पंक्तियाँ आपकी भेंट चढाता हूँ.... आपके व्यंग से मेल खातीं हैं..
बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंमुझ पे गर इल्जाम तो दो पत्नी को चांस।
हार गए तो कुछ नहीं जीते तो रोमांस।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
इन्हीं के दिन हैं.
जवाब देंहटाएंबिल्ला महाराज को वोट दो!
जवाब देंहटाएंबिल्ला की जगह
जवाब देंहटाएंशेरपूत होता तो
वोट बिन मांगे
ही जाता मिल
गिली गिली गिल।
ये बिल्ला है या कहीं रामप्यारी तो नही है?:)
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार जी.
रामराम.
बहुत बढ़िया.......
जवाब देंहटाएंबिल्ला भी क्या बूरा है?!!! :)
जवाब देंहटाएं@ ताऊ रामपुरिया
जवाब देंहटाएंनहीं नहीं..ये रामप्यारी नहीं है...रामप्यारी तो इतनी समझदार है कि वो अपनी टिकट ताऊ को दिला सकती है :-)
राजनीति और वंशवाद पर बढ़िया व्यंग !
जवाब देंहटाएंबढिया है..
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सटीक !
जवाब देंहटाएंदन्न है |
जवाब देंहटाएंजहां चूहों को वोट मिल जाता है...
जवाब देंहटाएंयहाँ बिल्ला क्या बुरा है भाय...
सारे शेर तो भीगी बिल्ली बने हैं....
शायद यही सुखा शेर बन जाए..
~जयंत
"बस एक बार जो बन गए सांसद,
जवाब देंहटाएंजीवन भर का मिल जाएगा मद,
देश की कौन सोचता है कम्बखत,
बस तू दोनों हाथों से लूट, हर वकत,
बच्चों को बैठा देना अपनी सीट पर,
जब बढ़ने लगे तेरे पाँव अपनी कब्र पर,
सात पीढियां भी तेरी तर जायेंगी,
भाभी भी तुझपे मर मर जायेंगी.."
काजल जी,
क्षमा करें..
पर मेरी एक कविता की कुछ पंक्तियाँ आपकी भेंट चढाता हूँ....
आपके व्यंग से मेल खातीं हैं..
~जयंत