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बुधवार, 6 मई 2009

कार्टून:-मैं, मेरा बिल्ला और राजनैतिक उत्तराधिकार.

14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब।

    मुझ पे गर इल्जाम तो दो पत्नी को चांस।
    हार गए तो कुछ नहीं जीते तो रोमांस।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  2. बिल्‍ला की जगह
    शेरपूत होता तो
    वोट बिन मांगे
    ही जाता मिल
    गिली गिली गिल।

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  3. ये बिल्ला है या कहीं रामप्यारी तो नही है?:)

    बहुत शानदार जी.

    रामराम.

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  4. @ ताऊ रामपुरिया
    नहीं नहीं..ये रामप्यारी नहीं है...रामप्यारी तो इतनी समझदार है कि वो अपनी टिकट ताऊ को दिला सकती है :-)

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  5. राजनीति और वंशवाद पर बढ़िया व्यंग !

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  6. जहां चूहों को वोट मिल जाता है...
    यहाँ बिल्ला क्या बुरा है भाय...
    सारे शेर तो भीगी बिल्ली बने हैं....
    शायद यही सुखा शेर बन जाए..

    ~जयंत

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  7. "बस एक बार जो बन गए सांसद,
    जीवन भर का मिल जाएगा मद,
    देश की कौन सोचता है कम्बखत,
    बस तू दोनों हाथों से लूट, हर वकत,
    बच्चों को बैठा देना अपनी सीट पर,
    जब बढ़ने लगे तेरे पाँव अपनी कब्र पर,
    सात पीढियां भी तेरी तर जायेंगी,
    भाभी भी तुझपे मर मर जायेंगी.."


    काजल जी,

    क्षमा करें..
    पर मेरी एक कविता की कुछ पंक्तियाँ आपकी भेंट चढाता हूँ....
    आपके व्यंग से मेल खातीं हैं..

    ~जयंत

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