आपदा पे आपदा .कुछ की बांछें खिल गईं .बढ़िया व्यंग्य .ॐ शान्ति .अब तीर्थ यात्राएं प्रतिबंधित होनी चाहिए .वैसे भी व्यभिचारी कर्मकांड के सिवाय है भी यहाँ क्या .बिजनेस सेंटर बन गए हैं ये तमाम स्थान .५ ० ० ० फीट के ऊपर जंगल काटो खूब काटो .भुगतो महा विनाश .ये तो शुरुआत है .कुम्भ हो या शिवभगतों का हरिद्वार जाने वाला कांवड़ रौला .हर जगह एक अव्यवस्था का आलम मिलेगा .कभी अमरनाथ में बर्फ के नीचे जाके दबो कभी इलाहाबाद में पुल टूटने से मरो ..स्वागतम स्वागतम ....ॐ शान्ति .मजेदार बात ये है शिव को जानते भी नहीं हैं .
आपदा पे आपदा .कुछ की बांछें खिल गईं .बढ़िया व्यंग्य .ॐ शान्ति .अब तीर्थ यात्राएं प्रतिबंधित होनी चाहिए .वैसे भी व्यभिचारी कर्मकांड के सिवाय है भी यहाँ क्या .बिजनेस सेंटर बन गए हैं ये तमाम स्थान .५ ० ० ० फीट के ऊपर जंगल काटो खूब काटो .भुगतो महा विनाश .ये तो शुरुआत है .कुम्भ हो या शिवभगतों का हरिद्वार जाने वाला कांवड़ रौला .हर जगह एक अव्यवस्था का आलम मिलेगा .कभी अमरनाथ में बर्फ के नीचे जाके दबो कभी इलाहाबाद में पुल टूटने से मरो ..स्वागतम स्वागतम ....ॐ शान्ति .मजेदार बात ये है शिव को जानते भी नहीं हैं .
शिव (निराकार ज्योतिर्लिन्गम )को सर्वव्यापी भी कह देते हैं फिर ढूंढते भी हैं धक्के खाते हैं .शिवोहम कहके आत्मा सो परमात्मा का जाप भी करते हैं .फिर यह यात्रा तीर्थ चार धाम की किस लिए .तू भी शिव मैं भी शिव ,शिव ही शिव .यही तो सबसे बड़ी अवमानना है .
सुन्दर !
जवाब देंहटाएं:):) सटीक
जवाब देंहटाएंहाँ ,और क्या !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बृहस्पतिवार (27-06-2013) को बहुत बंट चुके हम अब और न बांटो ( चर्चा - 1288 )
मे "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
इतनी ज़बरदस्त बात को सिर्फ बढ़िया ..सटीक, अच्छा है कहना लगता है, शायद कुछ ख़ास नहीं बना होगा, पर सचमुच होते इतने लाजवाब है की शब्द नहीं सूझते...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटी.
जवाब देंहटाएंहद है साहब.:)
रामराम.
सटीक किन्तु तीखा ...
जवाब देंहटाएंsatydew ki jay ho
जवाब देंहटाएं:) बहुत सही...
जवाब देंहटाएंआपदा पे आपदा .कुछ की बांछें खिल गईं .बढ़िया व्यंग्य .ॐ शान्ति .अब तीर्थ यात्राएं प्रतिबंधित होनी चाहिए .वैसे भी व्यभिचारी कर्मकांड के सिवाय है भी यहाँ क्या .बिजनेस सेंटर बन गए हैं ये तमाम स्थान .५ ० ० ० फीट के ऊपर जंगल काटो खूब काटो .भुगतो महा विनाश .ये तो शुरुआत है .कुम्भ हो या शिवभगतों का हरिद्वार जाने वाला कांवड़ रौला .हर जगह एक अव्यवस्था का आलम मिलेगा .कभी अमरनाथ में बर्फ के नीचे जाके दबो कभी इलाहाबाद में पुल टूटने से मरो ..स्वागतम स्वागतम ....ॐ शान्ति .मजेदार बात ये है शिव को जानते भी नहीं हैं .
जवाब देंहटाएंआपदा पे आपदा .कुछ की बांछें खिल गईं .बढ़िया व्यंग्य .ॐ शान्ति .अब तीर्थ यात्राएं प्रतिबंधित होनी चाहिए .वैसे भी व्यभिचारी कर्मकांड के सिवाय है भी यहाँ क्या .बिजनेस सेंटर बन गए हैं ये तमाम स्थान .५ ० ० ० फीट के ऊपर जंगल काटो खूब काटो .भुगतो महा विनाश .ये तो शुरुआत है .कुम्भ हो या शिवभगतों का हरिद्वार जाने वाला कांवड़ रौला .हर जगह एक अव्यवस्था का आलम मिलेगा .कभी अमरनाथ में बर्फ के नीचे जाके दबो कभी इलाहाबाद में पुल टूटने से मरो ..स्वागतम स्वागतम ....ॐ शान्ति .मजेदार बात ये है शिव को जानते भी नहीं हैं .
जवाब देंहटाएंशिव (निराकार ज्योतिर्लिन्गम )को सर्वव्यापी भी कह देते हैं फिर ढूंढते भी हैं धक्के खाते हैं .शिवोहम कहके आत्मा सो परमात्मा का जाप भी करते हैं .फिर यह यात्रा तीर्थ चार धाम की किस लिए .तू भी शिव मैं भी शिव ,शिव ही शिव .यही तो सबसे बड़ी अवमानना है .
बहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंमोबाइल के लिए एक बेहतरीन वेबसाइट!!
काजल हामारे डॉ पे भी कभी आशीर्वाद प्रदान करने आइये अभी फिर से शुरू करना है अत: आप की हौशला अफजाई की आवश्यकता पड़ेगी...
जवाब देंहटाएंआपदा प्रबन्धक का पद हथियाने की होड़ मची है।
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