मगर दुनिया वालों के दिल जल रहे थे .बात तो एक ही दिल लूटा किसी का या बैंक बेलेंस .अच्छा व्यंग्य .ये कमांडो दस्ते अब रोज़ प्रेम दिवस मदन उत्सव मनाते हैं .इस नकाब पोशियो का श्रेय चण्डीगढ़ शहर को जाता है .
@ veerubhai नहीं भाई साहब. चंडीगढ़ में नकाबपोश और फूहड़ हरकतें करने वाले कम ही हैं. अब युवा लोग जानते हैं कि चूमना गैर कानूनी नहीं है. वे पुलिस से भी भिड़ जाते हैं. रोज़ गार्डन में हाईकोर्ट के जज, नौकरशाह और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सैर करते हैं और ये युवा भी वहाँ सुशोभित होते हैं. कोई क्लैश या क्लेश नहीं.
चेहरा ढकने के बजाये दोनों ने बुरका पहना होता तो धोखा देने में और भी सहूलियत होती --खुद को भी , माता-पिता को भी और समाज को भी ...."बुर्के में 'सेफ्टी एन्श्योर्ड' "
nice idea :-)
जवाब देंहटाएंबढ़िया कटाक्ष है।
जवाब देंहटाएंधूल की आड़ में फूल बना रहे हैं बच्चे:)
हाय, देखो पापा..!
घबड़ाओ मत तुम्हें नहीं पहचानेंगे!
हा-हा-हा... फर्क ज्यादा नहीं है क्योंकि एक सार्वजनिक बैंक लूटता है दूसरा निजी यानी माँ-बाप का !
जवाब देंहटाएंदोनों ही हो जाता है ऐसे..
जवाब देंहटाएंचेहरा छुपाके ... लाजवाब!
जवाब देंहटाएं:):) बढ़िया ... वैसे आज कल सब खुलेआम होता है ...
जवाब देंहटाएंबाजार ने तो इन्हें पहले ही लूट लिया है..
जवाब देंहटाएंइस दिन लूटने नहीं लुटने जाते हैं।
जवाब देंहटाएंवेलेण्टाइन डे की प्रमोद मुतालिक जी को शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंआया जिनका आया
जवाब देंहटाएंम्हारा क्या आया क्या गया ??
परदे में रहने दो परदा जो उठ गया तो....:)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक!
जवाब देंहटाएंसटीक , पर विचारणीय भी.....
जवाब देंहटाएंजब कमीने धर्म और संस्कृति के ठेकेदार इसकी दुकानदारी करते रहेगें तब तक यही हाल रहेगा...
जवाब देंहटाएंYe bhee khoob rahee!Ha ha ha!
जवाब देंहटाएंहे, देख वो, इश्क छुप-छुप के फरमा रहे हैं
जवाब देंहटाएंहै क्या मज़ा, दिल ही दिल में तो घबरा रहे हैं
हा हा हा बहुत बढ़िया छुप-छुप कर इश्क ऐसे ही फरमाया जाता है। तब साथ इश्क नहीं पकड़े जाने का डर ज्यादा साथ होता है। :):)
जवाब देंहटाएंवेल इन टाइम लगायो रे ! :)
जवाब देंहटाएंइस खास किस्म के चेहरा ढ़ांकू यंत्र से तो मुझे परिवार नियोजन के किसी सरकारी विज्ञापन जैसा आभास हो रहा है :)
जवाब देंहटाएंha haha...nice :-)
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा .....
जवाब देंहटाएंबढिया हैं जी .............
ये सब हम लोगो के वक्त क्यूँ नहीं था???????
हम चल रहे थे ,वो चल रहे थे
जवाब देंहटाएंमगर दुनिया वालों के दिल जल रहे थे .बात तो एक ही दिल लूटा किसी का या बैंक बेलेंस .अच्छा व्यंग्य .ये कमांडो दस्ते अब रोज़ प्रेम दिवस मदन उत्सव मनाते हैं .इस नकाब पोशियो का श्रेय चण्डीगढ़ शहर को जाता है .
सही तरीका है।
जवाब देंहटाएंनकाब पोश प्रेमी अब सब जगह हैं इनका प्रादुर्भाव चंडीगढ़ में हुआ .
जवाब देंहटाएं@ veerubhai
जवाब देंहटाएंनहीं भाई साहब. चंडीगढ़ में नकाबपोश और फूहड़ हरकतें करने वाले कम ही हैं. अब युवा लोग जानते हैं कि चूमना गैर कानूनी नहीं है. वे पुलिस से भी भिड़ जाते हैं. रोज़ गार्डन में हाईकोर्ट के जज, नौकरशाह और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सैर करते हैं और ये युवा भी वहाँ सुशोभित होते हैं. कोई क्लैश या क्लेश नहीं.
कहीं बजरंगी चिर कुमारों की नजर न पद जाय :)
जवाब देंहटाएंचेहरा ढकने के बजाये दोनों ने बुरका पहना होता तो धोखा देने में और भी सहूलियत होती --खुद को भी , माता-पिता को भी और समाज को भी ...."बुर्के में 'सेफ्टी एन्श्योर्ड' "
जवाब देंहटाएं