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सुख दुख सब बढ़े।
yahi balance to kar rahe hain tathakthit arth-shastri aaj kal..
हा हा! लोग घपले के शिखर पर इमानदारी का लेमनचूस लिये बैठे हैं! :)
Ha,ha,ha!
हा हा हा ! अब चाहने पर भी प्रतिबन्ध लगेगा ?मियां , दस्तक देते हैं, हम द्वार खोलते हैं , देखते हैं कोई नहीं । :)
मन्नू के चाहते लोगों का चाहना कहाँ हो पा रहा है
अर्थशास्त्री जो ठहरे!
सब साथ-साथ हैं...!
बहुत सुन्दर!देवोत्थान पर्व की शुभकामनाएँ!
पर यहाँ सैलरी तो बढती है चवन्नी और महंगाई बढती है दो रुपया|Gyan Darpan
जिनको पगार नहीं मिलती बॉस उसका क्या?
बहुत अच्छी प्रस्तुति !मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है,कृपया अपने महत्त्वपूर्ण विचारों से अवगत कराएँ ।http://poetry-kavita.blogspot.com/2011/11/blog-post_06.html
सुंदर पोस्ट.आपका कार्टून बहुत पसंद आया,मेरे पोस्ट में स्वागत है....
सुख दुख सब बढ़े।
जवाब देंहटाएंyahi balance to kar rahe hain tathakthit arth-shastri aaj kal..
जवाब देंहटाएंहा हा! लोग घपले के शिखर पर इमानदारी का लेमनचूस लिये बैठे हैं! :)
जवाब देंहटाएंHa,ha,ha!
जवाब देंहटाएंहा हा हा ! अब चाहने पर भी प्रतिबन्ध लगेगा ?
जवाब देंहटाएंमियां , दस्तक देते हैं, हम द्वार खोलते हैं , देखते हैं कोई नहीं । :)
मन्नू के चाहते लोगों का चाहना कहाँ हो पा रहा है
जवाब देंहटाएंअर्थशास्त्री जो ठहरे!
जवाब देंहटाएंसब साथ-साथ हैं...!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंदेवोत्थान पर्व की शुभकामनाएँ!
पर यहाँ सैलरी तो बढती है चवन्नी और महंगाई बढती है दो रुपया|
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
जिनको पगार नहीं मिलती बॉस उसका क्या?
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति !
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http://poetry-kavita.blogspot.com/2011/11/blog-post_06.html
सुंदर पोस्ट.आपका कार्टून बहुत पसंद आया,
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